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________________ आओ संस्कृत सीखें अश् = खाना क्लिश् = क्लेश करना गूंथना ग्रन्थ् = पुष् = पोषण करना बन्ध् = बाँधना मन्थ् = मथना मुष् चोरी करना मृद् = मर्दन करना = क्षुभ् = क्षुब्ध होना ज्ञा (जा) = जानना अनु + ज्ञा (जा) = अनुज्ञा देना (परस्मैपदी) प्रत्यभि+ज्ञा = पहिचानना (परस्मैपदी ) ली = चाटना कॄ = हिंसा करना शृ = हिंसा करना अङ्क = गोद अमर = देव कृतान्त = यम हाथी पद्मप्रभ = छठे तीर्थंकर = भासुरक एक नाम लेश = थोड़ा विकल्प = विचार नाग = = फल विपाक वृत्तांत = चरित्र 41 नौवें गण के धातु = पालन करना (परस्मैपदी) | पृ (परस्मैपदी) दृ = फाड़ना (परस्मैपदी) जृ = बूढ़ा होना ( परस्मैपदी) गृ = बोलना ( परस्मैपदी) ज्या (जी) = हीन होना ( परस्मैपदी) (परस्मैपदी) क्री = खरीदना (उभयपदी) ( परस्मैपदी ) (उभयपदी) ( परस्मैपदी) (उभयपदी) ( परस्मैपदी) (उभयपदी) ( परस्मैपदी) (उभयपदी) (उभयपदी) (उभयपदी) (उभयपदी) (उभयपदी) ग्रह = ग्रहण करना मी = हिंसा करना श्री पू = पवित्र करना लू = काटना धू = हिलाना = पकाना ( परस्मैपदी) = ढकना स्तृ (परस्मैपदी) वॄ = पसंद करना (परस्मैपदी) शब्दार्थ (पुंलिंग) | समवाय = संबंध (पुंलिंग) सूत = सारथी (पुंलिंग) बहिस् = बाहर (पुंलिंग) यावत् = जब तक (पुंलिंग) अपि = भी (पुंलिंग) (पुंलिंग) कान्ता = पत्नी (पुंलिंग) तुम्बी = तुंबडी स्त्री जाने = जानता हूँ (परस्मैपदी) (परस्मैपदी) (परस्मैपदी) (परस्मैपदी) = (पुंलिंग) अङ्गना (पुंलिंग) रज्जु = डोरी (पुंलिंग) (पुंलिंग) (अव्यय) (अव्यय) (अव्यय) (अव्यय) (स्त्रीलिंग) (स्त्रीलिंग) (स्त्रीलिंग) (स्त्रीलिंग)
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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