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________________ आओ संस्कृत सीखें 1319 चुकाने के लिए) समर्थ हुआ, इतने में पापी अजितेन्द्रिय ऐसा मैं भाग्य से यहाँ आया हूँ। 9. अहो ! अत्यंत घोर नरक में गिरने के लिए साक्षी समान, काम के बाण ऐसे विषयों के भेद्यपने को प्राप्त न कर । 10. उसने युवावस्था में, कुल में उत्पन्न हुई राजकन्याओं से शादी की। उनसे युक्त वह, लता से युक्त वृक्ष की तरह शोभा देता था । 11. कुमार ! परंतु मैं पूछू, पूछने के लिए ही आया हूँ, अजीर्ण के बुखार से पीड़ित की तरह तुमने भोजन को क्यों त्याग दिया है? 12. ऊँचे फणवाले साँपों ने उसे काटने के लिए धमण समान मुख से फुत्कार करते हुए पवन छोड़ा। 13. धनपाल का सुंदर वचन और मलय का सुंदर चंदन, हृदय में धारण कर वास्तव में ! कौन शान्त नहीं हुआ। 14. मूर्छा पाए हुए आन्ध्रप्रदेश के राजा ने उस समय खून से पृथ्वी को लीपा और सींचा तथा बंदीवृंद ने पानी और चंदन द्वारा उसको सींचा और लीपा । 15. तलवार से दूसरा (साथ) और दूसरा कृष्ण (कृष्ण समान) इस राजा को दूसरे और तीसरे (सर्व) देशों से आकर राजा नमस्कार करते थे । हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. राजा मुनिं दृष्ट्वाऽमोदिष्ट तस्य चाऽद्भुतं तपःसामर्थ्यं चिन्तयन्सभामगात्। अमी ते वृक्षास्सन्ति हि येष्वावां वानरवत्स्वैरमरंस्वहि । 3. त्वं कं सुभगं दृष्टयाऽपा येन तवेदृशीदशाऽभूत् । 4. हे सुभ्र ! किं त्वं किंपाक-फलमच्छा आघ्राश्च वा सप्तच्छदपुष्पमच्छा सीराघ्रासीश्च यतस्त्वमेवमार्तीभवसि । 5. स बहुषु देशेष्वभ्रमत् स च बहून्यद्भुतानि वस्तून्यदर्शत् । युद्धे योऽनशत् तमहं नाऽऽहसि तथाऽहं रणान्नाऽनेशम् ।। 7. अहं पापानि नाऽकार्ष तदाऽहं दुःख-गर्तायां किमपप्तम् ? 8. स पाणिना श्मश्रुमस्पृक्षत् ततश्च धनुरस्प्राक्षीत् । 9. ये भुजबलेनाऽदृपन् मन्त्राऽस्त्रैश्चाऽद्राप्सुः, तान्प्रत्येकं स नृपो वश्यकार्षीत्। 10. सिंहस्य भयेन गजा अदुद्रुवन् स्थातुं ते नाऽचकमन्त । A 2. 6
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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