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________________ आओ संस्कृत सीखें 1250 वृक्ष पर चढ़े हुए बंदर समान ऐसे ग्रामीण बच्चों को हर्षपूर्वक देखता हुआ, मलयानिल की तरह धीरे धीरे चलता, दुर्विनीत अरिशासन पृथ्वी का ईश भरत अयोध्या पहुँचा । (प्र + आप्) 4. आगगाड़ी द्वारा अहमदाबाद से आणंद पहुँचते हुए आधी रात हुई । 5. युरोप में दस दिन रहकर जलमार्ग से हम हिंदुस्तान वापस लौटे । 6. तीन लोक के विषय में तिलक समान श्री महावीर को मैं नमन करता हूँ। 7. विक्रम संवत् के चार सौ सित्तर वर्ष पहले आश्विन, अमावस्या की अपर रात्रि में भगवान महावीर का निर्वाण हुआ । हिन्दी में अनुवाद करो 1. रघु भृशं वक्षसि तेन ताडितः पपात भूमौ सह सैनिकाश्रुभिः । निमेषमात्रादवधूय च व्यथां सहोत्थितः सैनिकहर्षनिःस्वनैः ।। 2. मत्सूनोः क्षीरकण्ठस्य तैः शठैः पापकर्मभिः । राज्यमाच्छेत्तुमारेभे धिक् तान् विश्वास-घातकान् ।। 3. तेऽमी मे भ्रातर इव पांसुक्रीडासखा मृगाः । महिष्यस्ता इमा मातृनिभा यासामपां पयः ।। 4. कर्णपेया सुधेवान्या द्युसदां ददती मुदम् । मध्येसुधर्मं तत्कीर्तिरप्सरोभिरगीयत ।। 5. वपुः कुब्जीभूतं तनुरपि शनैर्यष्टिशरणा, विशीर्णा दन्ताली श्रवणविकलं कर्णयुगलम्। निरालोकं चक्षुस्तिमिरपटलध्यामलमहो, मनो मे निर्लज्जं तदपि विषयेभ्यः स्पृहयति॥ नैवास्ति राजराजस्य यत्सुखं नैव देवराजस्य । तत्सुखमिहैव साधो लॊकव्यापाररहितस्य च ।। 7. वसन्ते शीतभीतेन कोकिलेन वने रुतम् । अन्तर्जलगता: पद्माः श्रोतुकामा इवोत्थिताः ।। 8. मध्येजम्बूद्वीपमाद्यो गिरीणां मेरुर्नाम्ना काञ्चनः शैलराजः । यो मूर्तानामौषधीनां निधानं यश्चावासः सर्ववृन्दारकाणाम् ।। 9. आखण्डलसमो भर्ता जयन्तप्रतिमः सुतः । आशीरन्या न ते योग्या पौलोमीसदृशी भव ।।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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