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________________ आओ संस्कृत सीखें 21993 संस्कृत में अनुवाद करो 1. आज हम उद्यान में गए (व्रज्) वहाँ हम वृक्ष की छाया में बैठे । (आस्) 2. पक्षी मधुर मधुर बोल रहे थे (रु)। हमने नजदीक में आम के वृक्ष देखे । (ईक्ष) 3. हमने आम के फल ग्रहण किए (ग्रह-कर्मणि) और खाए । (खाद्-कर्मणि) 4. फल खाकर हम उद्यान का सौंदर्य देखते हुए घूम रहे थे (भ्रम्) इसी बीच एक वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ महामुनि को हमने देखा (ईक्ष)। 5. वे मुनि सूर्य की तरह देदीप्यमान (दीप) थे, चंद्र की तरह प्रकाशमान थे । (प्र + काश्) 6. हमने मुनि को वंदन (वन्द्) किया और फिर घर की ओर चले। (चल्) 7. मनु ! तू पूरी रात भटक नहीं । (मा अट्) 8. मंगल पाठकों की स्तुति सुनकर राजा जग गया ! (जागृ) 9. मनुष्यभव में जन्म लेकर तुमने क्या ग्रहण किया (ग्रह) पुण्य या पाप? 10. भरत के द्वारा प्रेषित दूत के वचन को सुनकर बाहुबली हँसे । (हस्) . हिन्दी में अनुवाद करो 1. तस्य कर्णधारेण सार्धं सख्यमजनि । 2. न तावदेनां पश्यसि येनैवमवादीः । 3. ईदृशानि वन-फलान्यहमग्रेऽप्यखादिषम् । 4. सरोवराणि तान्येतान्यक्रीडं यत्र हंसवत् । तेऽमी द्रुमाः कपिरिवाऽखादिषं यत्फलान्यहम् ।। 5. विदधानस्य वसुधामेकछत्रां महौजसः । तस्याऽऽज्ञा वज्रिणो वज्रमिव नाऽस्खालि केनचित् ।। 6. अश्वैरश्वतरैरुष्ट्रहिनैरपरैरपि । तस्य वेश्म व्यराजिष्ट यादोभिरिव सागरः ।। 7. तीर्थेऽतत स किं दानमतनिष्ट तपः स किम् । अतनिष्ठा रतिं यस्मिन्नुत्कण्ठामतथास्तथा ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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