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________________ आओ संस्कृत सीखें 1196 ऐषिष्टाम् ऐषिष्ट ऐषिषुः ऐक्षिष्महि इष् - आत्मनेपद ऐषिषम् ऐषिष्व ऐषिष्म ऐषी: ऐषिष्टम् ऐषीत् ईक्ष् - आत्मनेपद ऐक्षिषि ऐक्षिष्वहि ऐक्षिष्ठाः ऐक्षिषाथाम् ऐक्षिध्वम्, ड्ढ्वम् ऐक्षिष्ट ऐक्षिषाताम् ऐक्षिषत परस्मैपद में वृद्धि 6. परस्मैपद में स् (सिच्) प्रत्यय पर धातु के अंत में रहे समान स्वर की वृद्धि होती है परंतु स् (सिच्) प्रत्यय ङित् है। (पाठ 25 नियम 14 से कुटादि) तब वृद्धि नहीं होती है । अलावीत् । लू के रूप - परस्मैपद अलाविषम् अलाविष्व अलाविष्म अलावी: अलाविष्टम् अलाविष्ट अलावीत् अलाविष्टाम् अलाविषुः . . आत्मनेपद अलविषि अलविष्वहि अलविष्महि अलविष्ठाः अलविषाथाम् अलविड्ढ्वम्, ध्वम्, ढ्वम् अलविष्ट अलविषाताम् अलविषत 7. परस्मैपद में सेट् स् (सिच्) पर 1) व्यंजनादि धातु के उपांत्य अ की विकल्प से वृद्धि होती है। . उदा. अगादीत्, अगदीत् । अनादीत्, अनदीत् परंतु - अनन्दीत् । 2) वद्, व्रज् तथा ल् और र् अंतवाले धातुओं के उपांत्य अ की नित्य वृद्धि होती है। उदा. अवादीत् । अव्राजीत्। अज्वालीत्। अस्खालीत्। अक्षारीत् ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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