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________________ आओ संस्कृत सीखें 1181 ङित् होगा। अत: विकल्प से गुण-वृद्धि होगी । उदा. उच्चुकुट, उच्चुकोट । नुनुव, नुनाव । उच्चुकुटिव, उच्चुकुटिथ । नुनुविव, नुनुविथ । शब्दार्थ अर्भक = बालक (पुंलिंग)। पारण = तप पूर्ण करना (नपुं. लिंग) द्विज् = ब्राह्मण, दाँत (पुंलिंग)| माल्य = माला (नपुं. लिंग) राशि = मेष आदि (पुंलिंग)| वाचिक = संदेश (नपुं. लिंग) सेनानी = सेनापति (पुंलिंग)| शश्वत् = हमेशा (नपुं. लिंग) धातुएँ घस् = खाना (गण 1 परस्मैपदी) प्र + क्रम् = प्रारंभ करना आ + छिद् = छीन लेना (गण 1) वि + अति + इ = बिताना गण 2 . नि+कृ= पराभव करना (गण 8 उभय.)| वि + कृ = बिखरना (गण 6 परस्मैपदी) संस्कृत में अनुवाद करो 1. नल और दमयंती वन में भटके । (अ) 2. कृष्ण ने कंस को मारा । (हन्) 3. राम ने रावण को जीता । (जि) . 4. द्रोणाचार्य के पास अर्जुन ने धनुर्विद्या सीखी । (अधि + इ) जिस प्रकार संप्रति महान् जैन राजा बना, उसी प्रकार कुमारपाल भी महान् जैन राजा हुआ । (भू) 6. चाणक्य ने नंद का राज्य लेने का (आच्छेतुम्) निश्चय किया । (निस् + चि) 7. अपने आसन के कंपन से इन्द्र ने प्रभु के जन्म को जाना । (ज्ञा) 8. भगवान के जन्म महोत्सव के प्रसंग पर स्वर्ग में से आते हए असंख्य देवों से आकाश व्याप्त हो गया । (वि + अश्) (ग.5.आ.) 9. इन्द्र ने अपनी सभा में महावीर की वीरता की प्रशंसा की (नू) और देवों ने अपने मस्तक धुनाए । (धू) 10. सीता ने सेनापति के मुख से राम को संदेश भेजा । (प्र + हि) 11. राम के राज्य को किसने याद नहीं किया? (स्मृ)
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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