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________________ आओ संस्कृत सीखें 1. 2. 3. 4. 5. 178 पाठ 25 परोक्ष भूतकाल परोक्षा प्रत्यय पर द्वित्व होने के बाद पहले के अ का आ होता है । अ) उदा. अट् + अ (णव) - अ । अट् + अ = आ अट् + अ = आट । आटतुः, आटुः ब) ऋकारादि धातु, अश् धातु तथा संयोगांत धातु के पूर्व के अ का आ होता है और फिर न् जुड़ता है। परंतु आ के स्थान पर रहे अ का आ नहीं होता है। ऋध् + अ (णव्) अ ऋध् + अ = आन् ऋध् + अ = आनर्ध । आनृधतुः। आनृधुः । अनार्धिथ अश् का आनशे । अञ्ज् - आनञ्ज, आनञ्जिथ । परंतु आञ्छ् का आच्छ । क) भू और स्वप् धातु के पूर्व के स्वर का क्रमश: अ और उ होता है । भू + अ (णव्) । ब भू + अ = ब भाव् + अ = बभाव परोक्षा और अद्यतनी में व् अंतवाले भू धातु के उपांत्य स्वर का दीर्घ ऊ होता है। उदा. बभूव। बभूवतुः। बभूवुः । बभुविथ । अ (ङ) सिवाय के प्रत्ययों पर द्वित्व के बाद, हि और हन् धातु के पूर्व से पर रहे ह् का घ होता है । उदा. हि का जिघाय । हन् का जघन्थ, घनिथ । अ (णव्) प्रत्यय पर हन् का घन् आदेश होता है । उदा. जघान स (सन्) तथा परोक्षा में, द्वित्व होने के बाद अ) जि धातु के पूर्व से पर रहे जि का गि होता है । उदा. विजिग्ये । जिगाय । ब) चि धातु के पूर्व से पर रहे चि का कि विकल्प से होता हैं । उदा. चिकाय, चिचाय । चिकयिथ चिकेथ ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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