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________________ आओ संस्कृत सीखें 1171 तुष्टम तुष्टव तुष्टाव तुष्टोथ तुष्टाव स्तु - परस्मैपदी तुष्टुव तुष्टुवथुः तुष्टुवतुः स्तु - आत्मनेपदी तुष्टुवहे तुष्टुव तुष्टवुः तुष्टुवे तुष्टुमहे तुष्टवे तुष्टुषे तुष्टुवाथे जगृहतुः जगृहुः तुष्टुवाते तुष्टुविरे 9. ह्कारांत और अंतस्था अंतवाले धातु के बाद इ (बिट्) या इ (इट्) हो तो उसके बाद रहे परोक्षा, अद्यतनी और आशीर्वाद के प्रत्यय के ध् का द् विकल्प से होता है। ग्रह के रूप - परस्मैपदी (पाठ 4 नियम 5) जग्रह, जग्राह जगृहिव जगृहिम जग्रहिथ जगृहथुः जगृह जग्राह आत्मनेपदी जगृहिवहे जगृहिमहे जगृहिषे जगृहाथे जगृहिवे, ध्वे जगृहे जगृहाते जगृहिरे त्वर के रूप - आत्मनेपदी तत्वरे तत्वरिवहे तत्वरिमहे तत्वरिषे तत्वराथे तत्वरिध्वे, वे तत्वराते तत्वरिरे शी - आत्मनेपदी (पाठ 14, नियम 15) शिश्ये शिश्यिवहे . शिश्यिमहे शिश्यिषे शिश्याथे शिश्यित्वे, ध्वे शिश्य शिश्याते शिश्यिरे जगृहे तत्वरे
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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