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________________ 164 आओ संस्कृत सीखें 2164 विंशते:पूरणः विंशतितमः, विकल्प से विंशः । (नियम १ से अ (डट्) हुआ। स्त्री लिंग में - विंशतितमी विंशी । एकविंशतितमः, एकविंशः त्रिंशत्तमः, त्रिंशः, त्रिंशत्तमी-त्रिंशी आदि । 3. शत आदि सभी संख्यावाचक शब्दों से तथा मास, अर्धमास संवत्सर शब्दों से तम (तम) ही होता है। उदा. शततमः, शततमी, एकशततमः, द्विशततमः, सहस्रतमः, सहस्रतमी आदि। मासस्य पूरणः - मासतमोदिनः = महीने का अंतिम दिन। 4. प्रारंभ में संख्यावाचक शब्द न हो तो षष्टि, सप्तति, अशीति और नवति शब्दों से तम (तमट्) ही होता है। उदा. षष्टितमः । ।सप्ततितमः । अशीतितमः । नवतितमः । नवतितमी विपरीत उदा. : एकषष्टितमः। एकषष्टः। एकसप्ततितमः । एकसप्ततः । 5. आदि में संख्यावाचक शब्द जुड़े न हों ऐसे पञ्चन्, सप्तन्, अष्टन्, नवन् और दशन् से म (मट्) प्रत्यय होता है । उदा. पञ्चमः, सप्तमः, अष्टमी, नवमी, दशमी परंतु एकादशः द्वादशः आदि । षष्, कति, कतिपय से थ (थट्) प्रत्यय होता है । उदा. षष्ठः, षष्ठी, कतिथः, कतिपयथी । 7. चतुर् से थ (थट्) तथा य व ईय भी होता है। उदा. चतुर्थः, चतुर्थी । तुर्यः, तुरीयः । यहाँ चतुर के च का लोप होता है। 8. द्वि तथा त्रि से नीय होता है द्वितीयः, तृतीय : । द्वितीया, तृतीया । यहां त्रि का तृ होता है । 9. तीय प्रत्ययांत नाम के रूप चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी व सप्तमी एक वचन में विकल्प से सर्वनाम की तरह होते हैं। टिप्पणी : विंशति के ति का डित् प्रत्यय पर लोप होता है - विंशः ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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