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________________ आओ संस्कृत सीखें 1558 द्वि - त्रि शब्द से अय (अयट) प्रत्यय भी होता है । उदा. पञ्च अवयवा अस्य पञ्चतयो यमः। - पाँच प्रकार का यम है प्रयोऽवयवा यस्य त्रयं त्रितयं जगत् । द्वौ अवयवौ अस्य द्वयं द्वितयं तपः । 5. नेम (सर्वनाम) अर्ध, प्रथम, चरम, अल्प, कतिपय तथा तय-अय जिसके अंत में हो ऐसे नामों से प्रथमा बहुवचन में अस् का विकल्प से इ होता है । उदा. नेमे - नेमाः। अर्धे - अर्धाः । प्रथमे - प्रथमाः। द्वितये - द्वितयाः । त्रये - त्रयाः । 6. 'उसका प्रमाण' इस अर्थ में इदम् और किम् शब्द से अत् (अतु) प्रत्यय होता है । इदम् का इय् और किम् का किय आदेश होता है । उदा. इदं मानं अस्य - इयत् जलं - इतना पानी किं मानं अस्य - कियत् जलं - कितना पानी ! 7. 'उतना प्रमाण' इस अर्थ में यद्, तद् और एतद् शब्द से आवत् (डावतु) प्रत्यय होता है। उदा. यावत्, तावत्, एतावत् । इन शब्दों के रूप भवत् (भवतु) सर्वनाम के अनुसार होते हैं । पुं. लिंग में इयान् । स्त्री लिंग में इयती, कियती । नपुं. लिंग में कियत्, कियती, कियन्ति । आदि 'उसका संख्या प्रमाण' इस अर्थ में यद् तद् और किम् से अति (डति) प्रत्यय भी होता है। डति प्रत्ययांत शब्द अलिंग अर्थात् तीनों लिंगों में समान होते हैं। उदा. या संख्या मानं एषां ते यति, यावन्तः । तति, तावन्तः । कति, कियन्तः । कति = कितना । नोट : तद्धित पर, अपद में रहे अ वर्ण और इ वर्ण का लोप होता है, त्रि+अयट्-इ का लोप-त्रयम्
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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