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________________ आओ संस्कृत सीखें उदा. कर्ता श्वः । कर्ता । अद्य श्वो वा गमिष्यति । श्वस्तनी नहीं होता । क्रियातिपत्ति अर्थात् किसी कारणवश क्रिया का न होना, ऐसे संयोगों में धातु से विध्यर्थ के प्रसंग में क्रियातिपत्ति के प्रत्यय लगते हैं । उदा. स यदि गुरुनुपासिष्यत शास्त्रान्तमगमिष्यत् । यदि वह गुरु की उपासना करता तो शास्त्र के पार को पा जाता । यद्ययं दानं अदास्यत् ततो विश्वेऽपि यशः प्रासरिष्यत् यदि उसने दान दिया होता तो विश्व में यश फैलाया होता । शब्दार्थ 9. अंशु = किरण अञ्चल = किनारा अतिक्रम = उल्लंघन इभ = हाथी उत्पथ = उल्टा रास्ता उपद्रव = उपद्रव काम = इच्छा गौतम = गौतम गणधर भेद = षड्यंत्र मण्डल = कुत्ता मृगारि = सिंह मौर्य = चंद्रगुप्त मौर्य मौलि (स्त्रीलिंग) ( नपुं. लिंग) ( नपुं. लिंग) ( नपुं. लिंग) ( नपुं. लिंग) (विशेषण) (विशेषण) (पुंलिंग) (पुंलिंग) (विशेषण) (विशेषण) (पुंलिंग) (पुंलिंग) (विशेषण) (पुंलिंग) प्रत्यग्र = नया (विशेषण) (पुंलिंग) भाव्य = अवश्य होनेवाला (विशेषण) (पुंलिंग) मंद = बीमार (विशेषण) (पुंलिंग) नो = नहीं (अव्यय) (पुंलिंग) परम् = परंतु (अव्यय) (पुंलिंग) श्वस् = कल (अव्यय) कौशल्या = राम की माता ( स्त्री लिंग) शम = शांति (पुं. लिंग) (पुं. लिंग) ( नपुं. लिंग) (स्त्रीलिंग) (पुं. लिंग) = मुकुट लुण्टाक = लुटेरा वयस्य = मित्र विषय = देश द्वार् = दरवाजा पौर्णमासी = 130 पूर्णिमा (पुंलिंग) रसवती = रसोई अग्र = आगे (पुंलिंग) (पुंलिंग) केवलज्ञान = पूर्णज्ञान (पुंलिंग) दुर्भिक्ष = अकाल (पुंलिंग) लोष्ट = मिट्टी का ढेर (पुंलिंग) अन्तिक = नजदीक का आकुल = व्याप्त गन्तृ = जानेवाला दीर्ण = फटा हुआ प्रतिपन्न = स्वीकृत शर = बाण हुतभुज् : = अग्नि
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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