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________________ such as आकर्षण था । धीरे धीरे उसके पठन-पाठन में पुनः वेग आया है । वर्तमान में अनेक त्यागी व गृहस्थी, अनेक अभ्यासी उसका अभ्यास कर रहे हैं । 6 संस्कृत भाषा के अभ्यासी विद्यार्थी उस महाव्याकरण में सरलता से प्रवेश कर सकें और अल्प समय में ही संस्कृत भाषा का अच्छा अभ्यास कर सकें, इसके लिए व्याकरण को लक्ष्य में रखकर सरल व रसमय प्रवेशिकाएँ लिखने का विचार मन में आया करता था। - मैंने अनेक अभ्यासी जैन मुनियों और अन्य विद्वानों के आगे अपनी भावना व्यक्त की, उनकी हार्दिक प्रेरणा और मेरे उत्साह के फलस्वरूप जो फल प्राप्त हुआ है, इसे आप सभी के हाथों में रखते हुए आनंद अनुभव करता हूँ। 50 परम पूज्य परम तपस्वी शांत महात्मा पंन्यासप्रवर श्री श्री 1008 श्री कांतिविजयजी म.सा. की असाधारण कृपादृष्टि, पंडितश्री प्रभुदास बेचरदास . पारेख का संस्कारिक मार्गदर्शन, पंडितजी श्री वर्षानंद धर्मदत्तजी मिश्र की व्याकरण संबंधी स्खलनाओं के आगे लालबत्ती धरने की तत्परता आदि तत्त्वों का मैं ऋणी हूँ। विद्यार्थी, अध्यापक और विद्वानों की नजर में जहाँ कहीं स्खलनाएँ नजर । में आए, इस संबंधी सूचनाएँ, सहृदय भाव से अवश्य सूचित करेंगे, इसी आशा के साथ विराम लेता हूँ। पाटण (अणहिलपुर) शिवलाल नेमचंद शाह (उत्तर गुजरात)
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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