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आओ संस्कृत सीखें
उदा. चोर्यते, ताड्यते। 10. कर्ता को तृतीया विभक्ति होती है |
उदा. बालेन मोदकः खाद्यते । .. . समुद्रेण क्षुभ्यते ।
लभ के कर्मणि रूप लभ्ये
लभ्यावहे लभ्यसे
लभ्येथे लभ्यते
लभ्येते
लभ्यामहे लभ्यध्वे लभ्यन्ते
दृश् दृश्यावहे
दृश्ये
दृश्येथे
दृश्यसे दृश्यते
दृश्यामहे दृश्यध्वे दृश्यन्ते
दृश्येते
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11. कर्तरि प्रयोग में कर्ता मुख्य होता है । कर्ता जिस पुरुष और वचन में होता
है, उसके अनुसार धातु को प्रत्यय लगते हैं अर्थात् प्रत्यय से कर्ता का ख्याल आ जाता है, अतः कर्ता को नाम के अर्थ में प्रथमा होती है और कर्म को द्वितीया विभक्ति होती है । उदा. 1. बालो मोदको खादति ।
2. अहं मोदकान्खादामि ।
3. समुद्रः क्षुभ्यति । 12. कर्मणि प्रयोग में कर्म मुख्य होता है, अतः कर्म जिस पुरुष या वचन में
होता है, उस पुरुष या वचन का प्रत्यय धातु को लगता है । अतः कर्म को द्वितीया विभक्ति न होकर नाम के अर्थ में प्रथमा होती है और कर्ता को तृतीया विभक्ति होती है । उदा. त्वया मौदको खाद्यते ।
तेनाऽहं दृश्ये । 13. भावे प्रयोग में क्रिया मुख्य होती है अतः क्रिया के अनुसार तृतीय पुरुष एक
वचन का ही प्रत्यय धातु को लगता है, अतः प्रत्यय द्वारा कर्ता अभिहित