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आओ संस्कृत सीखें -
वर्ग के पाँचवें अक्षर पर आनेवाले, पदान्त में रहे वर्ग के तीसरे व्यंजन का, , उसके वर्ग
का अनुनासिक व्यंजन विकल्प से होता है । उदा. चौरो ग्रामान्नश्यति ।
चौरो ग्रामाद् नश्यति ।
5.
पाँचवीं विभक्ति अपादान को होती है ।
6. जिससे अलग होना हो, उसे अपादान कहते हैं ।
उदा. वृक्षात् पर्णं पतति ।
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9.
पत्ता वृक्ष से अलग होता है ।
'विना' अव्यय से जुड़े नाम से द्वितीया, तृतीया और पंचमी विभक्ति होती है ।
धर्मं विना, धर्मेण विना, धर्माद् विना सुखं न भवति ।
'नाम्' प्रत्यय पर पूर्व का समान स्वर दीर्घ होता है ।
बाल + नाम्
बालानाम् ।
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'ओस्' प्रत्यय तथा 'स्' से प्रारंभ होनेवाले बहु वचन के प्रत्यय पर पूर्व
के 'अ' का 'ए' होता है ।
उदा. बाल + ओस्
बाले + ओस् - बालयोः ।
बाल + सु = बाले + सु
10. तुल्य अर्थवाले नाम के साथ जुड़े नाम को तृतीया या षष्ठी विभक्ति होती है।
उदा. अयं नृपो दाने कर्णेन तुल्यः कर्णेन समः ।
अयं नृपो दाने कर्णस्य तुल्यः कर्णस्य समः ।।
11. नामी, अंतस्था और क वर्ग के किसी भी व्यंजन के बाद रहे 'स्' का 'ष्' होता है, परंतु वह स् पद के अंदर होना चाहिए (प्रारंभ में व अंत में नहीं) तथा किसी भी नियम से बना होना चाहिए ।
बाले + सु बाले + षु = बालेषु