________________
29
आओ संस्कृत सीखें उदा. याचकेभ्यो धनं यच्छति |---
याचकों को धन देता है, अतः याचकों के लिए
संप्रदान अर्थ में चतुर्थी विभक्ति हुई । 12. कर्म या क्रिया द्वारा जिसके साथ श्रद्धा, उपकार, कीर्ति, दुःख नाश आदि इच्छाओं से जो विशेष संबंध किया जाता है, उसे संप्रदान कहते हैं ।
शिष्याय धर्मं कथयति । देवेभ्यो नमति । 13. 'के लिए' अर्थ में चतुर्थी विभक्ति होती है .
उदा. कुण्डलाय हिरण्यम् । कुंडल के लिए सोना ।। 14. नमस् और स्वस्ति अव्यय के साथ जुड़े नाम को चतुर्थी विभक्ति होती है |
नमो देवेभ्यः । स्वस्ति सङ्घाय ।
तृतीया चतुर्थी
तृतीया
चतुर्थी
पाठ-17 सर्वनाम की विभक्ति
अस्मद् मया आवाभ्याम् अस्माभिः मह्यम् आवाभ्याम् अस्मभ्यम्
युष्मद् त्वया युवाभ्याम् युष्माभिः तुभ्यम् युवाभ्याम् युष्मभ्यम् तद् (पुं + नपुं लिंग) तेन ताभ्याम् तस्मै ताभ्याम् तेभ्यः पुंलिंग नाम
छात्र = विद्यार्थी मद = अहंकार याचक = भिखारी, भिक्षुक सङ्घ = समुदाय
तृतीया चतुर्थी
अलङ्कार = अलंकार दण्ड = लकडी पाद = पैर रथ = रथ