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आओ संस्कृत सीखें
236. क्रिया को करनेवाला कर्ता कहलाता है, उदा. आचार्यो धर्म कथयति ।
धर्म कहने की क्रिया कौन करते हैं ?
आचार्य ! अतः आचार्य कर्ता हैं । 7. पदान्त 'न्' के बाद च् या छ, ट् या ट् तथा त् या थ् हो और उसके बाद
अधुट् वर्ण हो तो न् के स्थान पर क्रमशः श्, ष और स् होता है और उसके पहले के स्वर पर अनुस्वार रखा जाता है । जैसे- स बिडालान् ताडयति । : स बिडालांस्ताडयति । बिडालाँस्ताडयति। यहां पदांत न के बाद में त है और त के बाद में स्वर है, वह धुट नहीं है, अतः न् का स् हो गया और पूर्व के स्वर पर अनुस्वार लगा ।
पाठ-14 अकारांत नपुंसक नाम
प्रथमा द्वितीया विभक्ति प्रथमा । द्वितीया
कमलम् । कमले । कमलानि कमलम्
कमले कमलानि 1. नपुंसक नाम में प्रथमा-द्वितीया विभक्ति एक समान होती है । 2. प्रथमा-द्वितीया बहुवचन का 'इ' प्रत्यय लगने पर स्वरांत नपुंसक नाम के
बाद न् जोडा जाता है । 3. नपुंसक लिंग में प्रथमा-द्वितीया बहुवचन का 'इ' प्रत्यय घुट् कहलाता है | 4. घुट् प्रत्यय पर 'न् ' के पहले का स्वर दीर्घ होता है ।
कमल + न + इ - कमलानि 5. एक ही पद में र् ष् और ऋ वर्ण के बाद रहे न् का ण् हो जाता है
उदा. पूर्णः