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आओ संस्कृत सीखें
1. स वर्षति । 2. ते जेमन्ति । 3. क्रीडन्ति ।
4. युवां निन्दथः ।
5. अहं रक्षामि ।
चौथा गण
कुप् = कोप करना
= नाश होना
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हिन्दी में अनुवाद करें
पाठ-5
चौथा व छठा गण
1. चौथे गण के धातुओं को य विकरण प्रत्यय लगता है ।
2. य विकरण प्रत्यय लगने पर चौथे गण के धातुओं को गुण नहीं होता है ।
उदा. नृत्
नृत्यामि
नृत्यसि
नृत्यति
नश्
नृत्
पुष् = पोषण करना,
नृत्यामः
नृत्यथ
नृत्यन्ति
3. छठे गण के धातुओं को अ विकरण प्रत्यय लगता है ।
4. छठे गण के धातुओं को अ विकरण प्रत्यय लगने पर गुण नहीं होता है ।
उदा. स्फुरामि
स्फुरसि
स्फुरति
=
क्रोध करना, गुस्से होना
क्रुध् तुष् = खुश होना, संतोष पाना
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स्फुरावः
स्फुरथः
स्फुरतः
= नृत्य करना, नाचना
पोषना
6. त्वमसि ।
7. अहं जयामि ।
8. आवां स्मरावः ।
9. वयन्तरामः ।
10. त्वं धावसि ।
नृत्यावः
नृत्यथः
नृत्यतः
स्फुरामः
स्फुरथ
स्फुरन्ति
परस्मैपदी धातु
मिल् = मिलना
लिख्
सृज् = सृजन करना, बनाना
स्पृश् स्पर्श करना, छूना
स्फुट्
स्फुर् =
छठा गण
= लिखना
=
=
खिलना,
कंपित होना,
तूटना
फरकना