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आओ संस्कृत सीखें 6. बालिकाएँ उद्यान में से फूलों को लेकर देवालय में गईं। 7. गुणों से (मनुष्य) प्रेम पात्र होता है, दुर्जन (गुण बिना का मनुष्य) रूप द्वारा प्रेम
पात्र नही होता। 8. नायक बिना का स्थान रहने योग्य नहीं, (वैसे ही) बहुत नायकवाले स्थान में भी
रहना नहीं। 9. नहीं जन्मे हुए, मरे हुए और मूर्ख (पुत्र) में, पहले दो अच्छे परंतु अंतिम
अच्छा नहीं। 10. कन्या सचमुच देने योग्य है | 11. जिस कुल में जो मनुष्य मुख्य है वह हमेशा प्रयत्न से रक्षण करने योग्य
12. जिसका उदय है, वे वन्द्य है, जैसे चन्द्र और सूर्य । 13. सेव्य की सेवा का अवसर सचमुच, पुण्य से ही मिलता है । 14. पुष्पों में चंपा, नगरी में लंका, नदियों में गंगा और राजाओं में राम
(मुख्य) हैं। 15. विपत्ति का इलाज सचमुच प्रारंभ में ही सोचना चाहिए, अग्नि से घर
जलता है, तब कुआ खोदना योग्य नहीं । 16. विद्या से अलंकृत होने पर भी दुर्जन त्याग करने योग्य है, मणि से भूषित सर्प क्या
भयंकर नहीं हैं ? 17. एक त्याग गुण अच्छा है, अन्य गुणों की राशियों से क्या ? मेघ और वृक्ष त्याग से जगत् में पूजनीय हैं।
पाठ-35
हिन्दी का संस्कृत अनुवाद 1. अस्य नृपस्य सेना महती बलवत्तरा चास्ति । 2. आसु बालासु इमे द्वे बाले पटिष्ठे स्तः । 3. अनयो इँलयोरयं बालः श्रेयानस्ति । 4. भवान् माम् पुत्रवत् पश्यतु |