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________________ आओ संस्कृत सीखें 1303 15. पदांत ट वर्ग के बाद रहे नाम् नगरी और नवति के न् का ण होता है | षड् + नाम् = षण्णाम्, षण्णगरी, षण्णवति 16. प्रत्यय का पाँचवाँ अक्षर आने पर, तीसरे अक्षर का नित्य पाँचवाँ अक्षर होता है। षड् + णाम् = षण्णाम् शब्दार्थ ऋतु = ऋतु (पुंलिंग) मास = महीना (पुंलिंग) वैनतेय = गरुड़ (पुंलिंग) सैनिक = सिपाही (पुंलिंग) गणभृत् = गणधर (विशेषण) त्रितय = तीन का समूह (विशेषण) भगवत् = भगवान (विशेषण) परोपकारिन् = परोपकारी (विशेषण) विद्यार्थिन् = विद्यार्थी (विशेषण) पत्नी = स्त्री (स्त्रीलिंग) पद = कदम (नपुं.लिंग) महेशान = महेसाणा (नपुं.लिंग) योजन = चार गाउ (नपुं.लिंग) शनैस् = धीरे (अव्यय) संस्कृत में अनुवाद करो 1. इस देवालय के चार द्वार हैं | 2. तीस दिन का एक मास होता है । 3. पाटण से चार योजन जाने पर महेसाणा आता है 4. एक वर्ष में छह ऋतुएँ आती हैं । 5. भगवान महावीर के ग्यारह गणधर थें । 6. हमारी सेना में तीन करोड़, चार लाख और बीस हजार सैनिक हैं | 7. उसकी सेना में पचास लाख साठ हजार पाँच सौ नब्बे सैनिक हैं | 8. आज मैंने सित्तर विद्यार्थियों की परीक्षा ली । हिन्दी में अनुवाद करो 1. राज-पत्नी गुरोः पत्नी, भ्रातृ-पत्नी तथैव च । पत्नी-माता स्व-माता च, पञ्चैता मातरः स्मृताः ।। 2. रक्तत्वं कमलानां सत्पुरुषाणां परोपकारित्वम् ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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