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________________ आओ संस्कृत सीखें 17. युष्माभि र्देवः पूज्यतां तस्य चाज्ञानुरुध्यताम् । 18. गुणं पृच्छ, न रूपम्, शीलं कुलं च पृच्छ, न धनम् । 19. काले वर्षतु पर्जन्य: सुप्रभूतेन वारिणा । 20. दरिद्रान्भर कौन्तेय ! मा यच्छ प्रभवे धनम् । व्याधितस्यौषधं पथ्यं, नीरुजस्य किमौषधैः ।। पाठ-32 समास 1. एक नाम (पद) अपने साथ संबंध रखनेवाले दूसरे नाम (पद) के साथ जुड़कर संक्षेप में जो एक पद बनता है, उसे समास कहते हैं । 2. समास के मुख्य चार भेद हैं. बहुव्रीहि, अव्ययीभाव, तत्पुरुष और द्वन्द्व । 99 3. एक साथ में बोलते समय 'च' अव्यय से जुड़े हुए नामों के समास को द्वंद्व समास कहते हैं उदा. विग्रह रामश्च लक्ष्मणश्च = समास रामलक्ष्मणौ 4. अनेक पद जब एक पद बनता है तब प्रत्येक पद से जुड़े हुए विभक्ति के प्रत्ययों का लोप हो जाता है और उसके बाद समास हुए पद के साथ विभक्ति के प्रत्यय लगते हैं । उदा. रामश्च लक्ष्मणश्च रामलक्ष्मण + औ रामलक्ष्मणौ 5. बहुव्रीहि और अव्ययीभाव से भिन्न प्रकार का तत्पुरुष समास होता है, उसके अनेक भेद हैं । = 6. कई षष्ठ्यन्त नाम अपने साथ संबंध रखनेवाले नाम के साथ समास के रूप में जुड़ते हैं, उसे षष्ठी तत्पुरुष समास कहते है । गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम् गंगा का पानी = गंगाजल 7. न (नञ्) अव्यय दूसरे नाम के साथ समास पाता है, उसे नञ् तत्पुरुष समास कहते
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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