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________________ आओ संस्कृत सीखें 84 19 8. सोई हुई दमयंती को छोड़कर नलराजा अन्यत्र चला गया । 9. बहुत से देव-देवी के साथ इन्द्र मेरुपर्वत पर आए । 10. हे दासी ! पटरानी महल में है या नहीं ? 11. इस नदी में से यह वाहन समुद्र में जाता है । 12. समुद्र बहुतसी नदियों के पानी का भंडार है । 13. इस धारा नगरी में पहले बहुत से कवि थे । 14. इन फूलों की मालाएँ पटरानी के लिए ले जाती हूँ । 15. सज्जनों की कीर्ति तीनों लोक में फैलती है । हिन्दी में अनुवाद करो 1. गोपो धेनूग्रमं नयति । 2. वाप्या गृहीत्वाम्बु नयन्ति वध्वः । 3. अमूषामौषधीनां लताः किं पश्यसि ? 4. कृपणस्यर्द्धया परे सुखमनभुवन्ति । 5. रामः स्वस्यै भगिन्यै शान्तायै बहु धनमयच्छत् । 6. अमूभी रथ्याभी रथो नृपतेर्गतः । 7. अमुष्यै साध्व्यै चन्दनाया आर्यायै नमो नमः 8. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । 9. अनया रीत्याऽहमिषुभिः शत्रुमजयम् । 10. अयोध्या नगरी सरखास्तीरे भवति । " 11. “यूयं वयं” “वयं यूयं”, इत्यासीन्मतिरावयोः । किं जातमधुना येन, “यूयं यूयं" "वयं वयम्” ।। 12. वृथा वृष्टिः समुद्रेषु, वृथा तृप्तस्य भोजनम् । वृथा दानं समर्थस्य, वृथा दीपो दिवाऽपि च ।। 13. विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय । खलस्य साधोर्विपरीतमेतज्, ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ।।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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