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मी कायस्थिति प्रकरण.
( ७. ___ हवे ते पर्वतो संबंधी विशेष विचार कहे छ:पढमो सीहनिसाई अद्धजवनिभो अ चउदिसिं सिहरे। पन्नाई चउ जिणगेहा सयाइ चउचेइआ दुनि ॥ ५९॥
अर्थ-पहेलो मानुषोत्तर नामना पर्वत जेम सिंह बेठेलो होय तेना आकार जेवा छे, एटले के जेम सिंह आगळना वे पग उवा करीने, पाछळना वे पग संकोचीने पश्चातभागमां कांइक ढळत बेसे छे, एटले बेठेलो सिंह मस्तकना प्रदेशमा उचो अने पाछळना भागमां नीचो नीचो होय छे, एज प्रमाणे मानुषोतर पर्वत पण जंबूद्वीपनी दिशा तरफ छिनटंक, सर्वथी उंची भीतनी जेम सरखो (सपाट) अने पाछळना भागमां तो शिखरना भागयी आरंभीने नीचो नीचो छे. अथवा ते पर्वा अर्था जवनी जेवो छे. एटले जवनो दाणा अर्क करेलो जेबो होय तेवो छे अथवा जवना ढगला जेमो के. जेम जब अथवा जवनो ढगला अपांतराळे उंचो, अर्धा भागे छेदायलों अने मध्य भागमां छिनटंक जेवो होय छे, अने . बहारना भागमां थोडो जाडाइनी अपेक्षाए पाको पातको होय छे. तेज प्रमाणे आ पवत पण छे. वळी तेना शिखरपर चारे दिशामा चार मिनचैत्यो छे ते चै यो केवां छे ! ते कहे छे-पचास योजन लांबा, पचीश योजन पहाळां अने छत्रोश योजन उंचां एवां चार शाश्वत जिनचैरो रहेला छे. तथा कुंडल अने रुचक ए दरेक पर्वतमा शिखरपर चारे दिशापां चार जिनचैत्यो छे. ते सो योजन लांबां, पचास योजन पहोळां अने बोंतेर योजन उंचां जिनचैत्यो छे. ५९.
॥इति नवमं वलयद्वारम् ॥९ . हवे दश नंदीश्वरद्वीप संबंधी द्वार कहे छे:तेवढे कोडिस लरका चुलसीइ वलयविक्खंभो। नंदीसरहमदीवो चउदिसि चउ अंजणा मझे ॥६॥