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श्रीसिद्धदण्डिकास्तव.
जं उस हकेवलाओ, अंतमुहुत्त्रेण सिवगमो भणिओ । जा पुरिसजुगअसंखा, तत्थ इमा सिददंडीओ ॥ १ ॥
जं-जे
उस - ऋषभदेव -
केवलाओ केवलज्ञानथी
अंतमुहुरोण- अन्तर्मुहू र्त पछी
सिवगमो - मोक्षगमन
भणिओ-कां छे
जा-यावत्
पुरिस - पुरुष
जुग-युग (पाट)
असंखा - असंख्याता
तत्थ - त्यां
इमा-आ
सिद्धदंडी ओ - सिद्धदंडीका
अर्थ - ऋषभदेवने केवलज्ञान थया पछी अन्तर्मुहूर्त पछी असंख्याता पुरुष युग सुधी मोक्षगमन कहुं छे-तेमां आ सिद्धदडिका कहे. छे.
विवेचन - आ अवसर्पिणी कालना प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव भगवानने केवलज्ञान यया पछी अन्तर्मुहूर्ते मोक्षमार्ग बह्यो एटले मोक्षमार्गमां जवानी शरुआत थइ त्यार पछी तेमना वंशमां असंख्याता पुरुष युग सुधी एटले असंख्यात पाट सुधी मोक्षगमन थयुं ते जणावनार आ सिद्ध दंडिका छे. १
सत्तुंजयसिद्धा भरहवंसनिवई सुबुद्धिणा सिठा । जह सगरसुआणsठावयंमि तह कित्तिअं धुणिमो ॥२॥