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________________ १७२ ] ग्रन्थनाम व्यवहार भाष्य व्यवहार भाष्य दशमद्देश व्यवहार भाष्यादि षट्त्रिंशज्जरूप शत्रुञ्जय माहात्म्य ५ सर्ग २ सर्ग " " 99 "" श्राद्धजीत कल्प 33 नाम "" श्राद्धजीत कल्प वृत्ति श्राद्धदिन कृत्य अनेकार्थं आगम उपदेश पद او कल्पभाष्य छेभाष्य ज्ञानाऽर्णव वर्शनशुद्धि " धर्मशास्त्र धर्म संग्रह ,, - पंचाशकादि ध्यानशतक ध्यानचतुष्पदी निशियादि वृत्ति वाशक गाथाक ५० ३७ ५९ - - प्रन्थमाम ५०. ४३ ५६ ५९ ६७ संघ कुलक ५९- संघ कुलक ४६ १२ ९ १०-११ गाथा श्राद्ध विधि श्राद्ध दिनकृत्य पञ्चाशक नामनिर्देश [ ] कोष्टके भूल वृत्तिगत - नामनिर्देशर हित ग्रन्थान्तरस्थानेक-त्रिशत् प्रायः ४ " 12 श्रावक प्रशप्ति - हरिभद्रसूरिकृत ७-१२ ५० ४१-४२ ६७ १४-१५ १९-२० ९ ४ ६७ ६७ १०-११ सम्यक्त्व- कुलक सम्यक्त्व प्रकरण सम्यक्त्व वृत्ति सुत्छेद भाष्यादौ ३. अवचूरिकास्थ- ग्रन्थनाम नाम प्रवचनसारोद्धार संघाचारवृत्ति संदेह - दोला- वली - वृत्ति हैमवीर चरित्र हैम वचन बृहद्भाष्य भक्त परिज्ञा " भवभावना वृत्ति भाष्यादि महानिशीय मेदिनी कोष योगशास्त्र (हैम) 33 राज - प्रश्नी (रायपसेणीय) रुद्र-कोष ललित विस्तरा वसुदेव हिडी ८-४५-४७ ४८-४९-५४ व्यवहार शुद्धि प्रकाश गाथाड ८ १२ ५६ ५० ५० ८ ४२ ३१-३३ ३७ २ १९-२० १२ ४ गाथा ५०-६७ २, ८ ४ १२ ५० ५० २ ४, ६७ ४ 8 ७ ८, २९, ३८, ३९, ४०
SR No.023117
Book TitleDravya Saptatika Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLavanyavijay Gani, Nirupamsagar
PublisherJain Shwetambar Sangh Pedhi
Publication Year1968
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size21 MB
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