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________________ है जिसमें तीन काण्ड हैं- नैघण्टक काण्ड, नैगम काण्ड एवं दैवत काण्ड नैघण्ट्रक काण्ड तीन अध्यायों में विभाजित है जिनमें क्रमश: ४१४, ५१६ एवं ४१० शब्द संकलित हैं। नैघण्टुक काण्ड के शब्दों की कुल संख्या १३४० है। निघण्टुके शब्दोंकी व्याख्या निरुक्तके द्वितीय अध्यायसे आरंभ होती है। निरुक्तके प्रथमाध्यायमें भी कुछ निर्वचन प्राप्त होते हैं जो निर्वचन की भूमिका के प्रसंगमें प्राप्त हैं। ये शब्द निघण्टु पठित नहीं हैं। निघण्टु के प्रथम अध्यायमें यद्यपि ४१४ पद संकलित हैं लेकिन ये सभी शब्द निरुक्तमें व्याख्यात नहीं होते। निरुक्तके द्वितीय अध्यायमें मात्र १५१ शब्दोंके निर्वचन प्राप्त होते हैं, जिनमें कुछ शब्द प्रसंगत: प्राप्त भी हैं। निघण्ट्रके द्वितीय अध्यायमें परिगणित शब्दोंके निर्वचन निरुक्तके तृतीय अध्यायके प्रथम एवं द्वितीय पादमें प्राप्त होते हैं लेकिन उनमें मात्र ५५ शब्द ही व्याख्यात हैं, इनमें भी कुछ प्रसंगतः प्राप्त हैं। ज्ञातव्य है निघण्टुके द्वितीय अध्यायमें ५१६ शब्द संकलित हैं। इसी प्रकार निघण्ट के ततीय अध्यायकी व्याख्या निरुक्तके तृतीय अध्यायके तृतीय एवं चतुर्थ पादोंमें की गयी है। निघण्ट्के तृतीय अध्यायके ४१० शब्द व्याख्यात न होकर चतुर्थांशसे भी कम शब्द यहां व्याख्यात हैं। निरुक्तके तृतीय अध्यायके तृतीय एवं चतुर्थ पादोंमें मात्र ७५ शब्दोंकी ही व्याख्या हई है जिनमें कुछ प्रसंगतः प्राप्त भी हैं। इस प्रकार नैघण्ट्रक काण्डके कुल १३४० शब्दोंमें मात्र २१८ शब्दोंके निर्वचन प्राप्त होते हैं, इनमें भी बहत से शब्द प्रसंगत : प्राप्त हैं। तात्पर्य यह है कि निघण्ट् पठित शब्दोंमें से एक चतुर्थांश शब्दोंके निर्वचन भी यास्क नहीं करते। नघण्टुक काण्डके निर्वचनोंका मूल्यांकन प्रकृत शोध प्रबंधके षष्ठ अध्यायमें किया गया है। _निघण्टुका द्वितीय काण्ड नैगम काण्ड कहलाता है, यह निघण्टुका चतुर्थ अध्याय है। निघण्टुका चतुर्थ अध्याय तीन खण्डोंमें विभाजित है जिसमें क्रमश. ६२, ८४ एवं १३३ पद संकलित हैं। इस प्रकार चतुर्थ अध्यायके शब्दो की कुल संख्या ३७९ है। प्रत्येक पदों की स्वतंत्रसत्ता होनेके कारण इन्हें ऐकपदिक काण्ड कहा जाता है। इन पदों के निर्वचन निरुक्तके चतुर्थ, पंचम एवं षष्ट अध्यायोंमें प्राप्त होते हैं। निरुक्त के चतुर्थ, पंचम एवं षष्ठ अध्यायों में क्रमश: १४६, १३४ एवं २०६ निर्वचन प्राप्त होते हैं। इस प्रकार निरुक्त के नैगम काण्ड के निर्वचनों की कुल संख्या ४८६ है। यास्क निघण्ट्र के नैगम काण्ड के २७९ शब्दों के स्थान पर ४८६ निर्वचन प्रस्तुत करते हैं। इन निर्वचनो में अतिरिक्त निर्वचन प्रसंगत प्राप्त हैं । निघण्टु पठित नैगम काण्ड के २७९ शब्दों के निर्वचन भी यहां नहीं किए गये हैं क्योंकि इनमें कुछ शब्दों के निर्वचन में पूर्व व्याख्यात या आगे व्याख्या की जायगी कह कर काम ५२.५:व्युत्पनि विज्ञान और आचार्य या
SR No.023115
Book TitleVyutpatti Vigyan Aur Aacharya Yask
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamashish Pandey
PublisherPrabodh Sanskrit Prakashan
Publication Year1999
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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