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________________ बनता है। इस शब्दका प्रयोग वेदोंमें पाया जाता है। लौकिक संस्कृतमें क्षेत्रसाधा प्रयोग नहीं प्राप्त होता है। लौकिक संस्कृतमें साध् धातुसे निप्पन्न रूप - साध्नोति, ससाध, साद्धा, सात्स्यति आदिका प्रयोग होता है । यास्कके निर्वचनका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। व्याकरणके अनुसार इसे क्षेत्र + साध् -- असुन् प्रत्यय कर बनाया जा सकता है। (37) उष्णम् :- इसका अर्थ गर्म होता है। उष्ण शब्दका प्रयोग लौकिक संस्कृतमें होता है जबकि यह शब्द वेदमें प्रसिद्ध उष् दाहेधातुसे निष्पन्न होता है। यह शब्द उष् दाहे धातुसे औणदिक् नक् प्रत्यय करने पर बनता है उष् + नक – उष्णम् । यास्कके निरुक्तमें वैदिक धातुसे निष्पन्न लौकिक प्रयोग भी प्राप्त होते हैं, इसके उदाहरणको उमा शद को उपस्थापित किया गया है। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि पुराने धातुओंके आख्यात रूपका प्रचलन बन्द हो जाता है तथा उससे निष्पन्न नाम रूप प्रचलित रहता है। उष्णम् इसका प्रवल उदाहरण है। ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक दृष्टिकोणसे यह निर्वचन उपयुक्त है। (38) घृतम्:-घृतका अर्थ धीमे है वृतका प्रयोग लौकिक संस्कृत में वाहुल्येन होता है। यह शब्द वैदिक धातुघृक्षरण दीप्तयोः से निष्पन्न होता है। वैदिक धातुसे निष्पन्न लौकिक नाम पदके उदाहरणमें यास्क इस शब्दको उपस्थापित करते हैं। घृ धातुसे निष्पन्न वैटिक क्रिया पदका प्रयोग वेदोंमें प्राप्त होता है। वेदोंमें घृत शब्द जलका भी वाचक है - घृतमित्युदक नाम जिघर्तेः सिंचति कर्मग' अर्थात् धृत शब्द घृसिंचने धातुसे बनता है। घीका वाचक धृतका निर्वचन भी इसी प्रकार होगा। यास्ककं निर्वचनका भाषा वैज्ञानिक आधार उपयुक्त है। व्याकरणके अनुसार यह घृक्षरणदीप्त्योःधातुसेक्त' प्रत्यय 'करने पर बनता है। (39) कम्बोजा :- कम्बोज एक देश विशेषका नाम है। यास्क इसके लिए दो निर्वचन प्रस्तुत करते है- (1) कम्बल भोजाः' इसमें कम्बल+भुजकम्बोज हुआ है। शैत्य प्रधान होनेसे कम्बलका अधिक उपयोग होने के कारण कम्बोज नामकरण हुआ। कम् कम्बलका द्योतक है तथा भुज् धातुसे निष्पन्न भोजाः उसका उत्तर प्रद है कम + भोजा - कम्भोजा - कम्बोजाः । १५४ व्युत्पत्ति विज्ञान और अचार्य यास्क
SR No.023115
Book TitleVyutpatti Vigyan Aur Aacharya Yask
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamashish Pandey
PublisherPrabodh Sanskrit Prakashan
Publication Year1999
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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