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________________ 478 भद्रबाहुसंहिता मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है तथा उसका दुःख नष्ट हो जाता है ।। 103।। बन्धनं बाहुपाशेन निगडैः पादबन्धनम् । स्वस्य पश्यति य: स्वप्ने लाति मान्यं सुपुत्रकम् ॥104॥ जो स्वप्न में अपने हाथ और पाँव को बँधा हुआ देखता है उसे पुत्र की प्राप्ति होता है ।।104।। दश्यते श्वेतसर्पण दक्षिणांगं प्रमान भवि । महान् लाभो भवेत्तस्य बुद्ध्यते यदि शीघ्रत: ॥105॥ जो व्यक्ति स्वप्न में अपनो दाहिनी ओर श्वेत सांप को देखता है और स्वप्न दर्शन के पश्चात् तत्काल उठ जाता है, उसे अत्यन्त लाभ होता है ।।105।। अगम्यागमनं पश्येदपेयं पानकं नरः। विद्यार्थकामलाभस्तु जायते तस्य निश्चितम् ॥106॥ जो व्यक्ति स्वप्न में अगम्या स्त्री के साथ समागम करते हुए देखता है तथा अपेय वस्तुओं को पीते हुए देखता है, उसे विद्या, विषयसुख और अर्थलाभ होता है ।। 106।। सफेनं पिबति क्षीरं रौप्यभाजनसंस्थितम् । धनधान्यादिसम्पतिविद्यालाभस्तु तस्य वै॥1071 जो व्यक्ति स्वप्न में चांदी के बर्तन में स्थित फेन सहित दूध को पीते हुए देखता है, उसे निश्चय से धन-धान्य आदि सम्पत्ति की प्राप्ति तथा विद्या का लाभ होता है ।।107॥ घटिताघटितं हेमं पीतं पुष्पं फलं तथा। तस्मै दत्ते जनः कोऽपि लाभस्तस्य सुवर्णजः ॥108॥ जो व्यक्ति स्वप्न में स्वर्ण अथवा स्वर्ण के आभूषण तथा पीत पुष्प या फल को अन्य किसी व्यक्ति द्वारा ग्रहण करते हुए देखता है, उसे स्वर्ण की, स्वर्णाभूषणों की प्राप्ति होती है ।। 108।। शुभं वृषभवाहानां कृष्णानामपि दर्शनम्। शेषाणां कृष्णद्रव्याणामालोको निन्दितो बुधैः ।।109॥ स्वप्न में कृष्ण वर्ण के बैल, हाथी आदि वाहनों का दर्शन शुभकारक होता है तथा अन्य कृष्ण वर्ण की वस्तुओं का दर्शन विद्वानों द्वारा निन्दित कहा गया है ।।109॥
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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