SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 440
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 342 भद्रबाहुसंहिता 'शुष्यन्ति वै तडागानि सरांसि सरितस्तथा। बीजं न रोहिते तत्र जलमध्येऽपि वापितम् ॥16॥ जब मंगल दशवें, ग्यारहवें और बारहवें नक्षत्र से लौटता है तो यह शोषमुख वक्र कहलाता है । इस प्रकार के वक्र में आकाश से जल की वर्षा होती है, रस दूषित हो जाते हैं तथा रसों के दूषित होने से प्राणियों को नाना प्रकार की व्याधियां उत्पन्न होती हैं। जल-वृष्टि भी उक्त प्रकार के वक्र में उत्तम नहीं होती है, जिससे तालाब सूख जाते हैं तया जल में भी बोने पर बीज नहीं उगते हैं; अर्थात् फसल की कमी रहती है ।।14-16।। व्रयोदशेऽपि नक्षत्रे यदि वाऽपि चतुर्दशे । निवर्तेत यदा भौमस्तद् वकं व्यालमुच्यते ॥17॥ पतंगाः सविषा: कोटाः सर्पा जायन्ति तामसाः । फलं न बध्यते पुष्पे बीजमुप्तं न रोहति ॥18॥ यदि मंगल चौदहवें अथवा तेरहवें नक्षत्र से लौट आये तो यह उसका व्यालवक्र कहलाता है । पतंग-टीड़ी, विषले जन्तु, कीट, सर्प आदि तामस प्रकृति के जन्तु उत्पन्न होते हैं, पुष्प में फल नहीं लगता और बोया गया बीज अंकुरित नहीं होता है ।।17-18॥ यदा पञ्चदशे ऋक्षे षोडशे वा निवर्तते। लोहितो लोहितं वकं कुरुते गुणजं तदा ॥19॥ देश-स्नेहाम्भसा लोपो राज्यभेदश्च जायते। संग्रामाश्चात्र वर्तन्ते मांस-शोणित-कर्दमा: ॥20॥ जब मंगल पन्द्रहवें या सोलहवें नक्षत्र से लौटता है, तब यह लोहित वक्र कहा जाता है । यह गुण उत्पन्न करने वाला है। इस वक्र के फलस्वरूप देश, स्नेह, जल का लोप हो जाता है, राज्य में मतभेद उत्पन्न हो जाता है तथा युद्ध होते हैं, जिससे रक्त और मांस की कीचड़ हो जाती है ।।19-20॥ यदा सप्तदशे ऋक्षे पुनरष्टादशेऽपि वा। प्रजापतिनिवर्तेत तद् वक्र लोहमुद्गरम् ॥21॥ निर्दया निरनुक्रोशा लोहमुद्गरसन्निभाः। प्रणयन्ति नृपा दण्डं क्षीयन्ते येन तत्प्रजाः ॥22॥ जब मंगल सत्रहवें या अठारहवें नक्षत्र से लौटता है तो लोहमुद्गर वक्र कहलाता है । इस प्रकार के वक्र में जीवधारियों की प्रवृत्ति निर्दय और निरंकुश
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy