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________________ 92 भद्रबाहुसंहिता सायंकालीन सन्ध्या श्वेत या रक्त वर्ण की हो तो सात दिन के उपरान्त वर्षा एवं मिश्रित वर्ण की हो तो वर्षा ऋतु में अच्छी वर्षा होती है। ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया को प्रातःकालीन सन्ध्या श्वेत वर्ण की हो तो वर्षा ऋतु में अच्छी वर्षा होती है । ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया प्रातःकालीन सन्ध्या श्वेतवर्ण की हो और पूर्व दिशा से बादल घुमड़कर एकत्र होते दिखलाई पड़ें तो आषाढ़ में वर्षा का अभाव और वर्षा ऋतु में भी अल्प वर्षा तथा सायंकालीन सन्ध्या में बादलों की गर्जना सुनाई पड़े या बूंदा-बूंदी हो तो घोर दुभिक्ष का अनुमान करना चाहिए । उक्त प्रकार की सन्ध्याएं व्यापार में लाभ सूचित करती हैं । सट्टे के व्यापारियों के लिए उत्तम फल देती हैं। वस्तुओं के भाव प्रतिदिन ऊंचे उठते जाते हैं। सभी चिकने पदार्थ और तिलहन आदि का भाव कुछ सस्ता होता है। उक्त सन्ध्या का फल एक महीने तक प्राप्त होता है। यह सन्ध्या जनता में रोगों की उत्पन्नकारक होती है । ज्येष्ठ कृष्ण तृतीया का क्षय हो और इस दिन चतुर्थी पंचमी तिथि से विद्ध हो तो उक्त तिथि की प्रात.कालीन सन्ध्या अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। यदि इस प्रकार की सन्ध्या में अर्धोदय के समय सूर्य के चारों ओर नीलवर्ण का मंडलाकार परिवेप दिखलाई पड़े तो माघ और फाल्गुन मास में भूकम्प होने की सूचना समझनी चाहिए । इन दोनों महीनों में भूकम्प के साथ और भी प्रकार की अनिष्ट घटनाएं घटित होती हैं । अनेक स्थानों पर जनता में संघर्ष होता है, गोलियाँ चलती हैं और रेल या विमान दुर्घटनाएं भी घटित होती हैं। आकाश में ओले बरसते हैं तथा दुर्घटना द्वारा किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की मृत्यु होती है । एक बार राज्य में क्रान्ति होती है तथा ऐसा लगता है कि राज्य-परिवर्तन ही होने वाला है । चैत्र में जाकर जनता में आत्म-विश्वास उत्पन्न होता है तथा सभी लोग प्रेम और श्रद्धा के साथ कार्य करते हैं। यदि उक्त प्रकार की सन्ध्या का वर्ण रक्त और श्वेत मिश्रित हो तो यह सन्ध्या सुकाल तथा समयानुकूल वर्षा और अमनचन की सूचना देती है। यदि उक्त प्रकार की सन्ध्या को उत्तर दिशा से सुमेरु पर्वत के आकार के बादल उठे और वे सूर्य को आच्छादित कर लें तो विश्व में शान्ति समझनी चाहिए। सायंकालीन सन्ध्या यदि इस दिन हँसमुख मालूम पड़े तो आषाढ़ में खूब वर्षा और रोती हुई मालूम पड़े तो वर्षाभाव जानना चाहिए। ___ज्येष्ठ कृष्णा षष्ठी को आश्लेषा नक्षत्र हो और सायंकालीन सन्ध्या रक्तवर्ण भास्वर रूप हो तो आगामी वर्ष अच्छी वर्षा होने की सूचना समझनी चाहिए। इस सन्ध्या के दर्शक मीन, कर्क और मकर राशि वाले व्यक्तियों को कष्ट होता है और अवशेष राशि वाले व्यक्तियों का वर्ष आनन्दपूर्वक व्यतीत होता है । प्रातःकालीन सन्ध्या इस तिथि की रक्त, श्वेत और पीतवर्ण की उत्तम मानी गई है और अवशेष वर्ण की सन्ध्या हानिकारक होती है । ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी को उदय
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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