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________________ अमेरिका की चेजपीक खाड़ी में नाक्टील्यूका नाम का जीव होता है, नाक्टील्यूका का शाब्दिक अर्थ होता है रात्रि का प्रकाश | ये जीव सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई देते हैं, परन्तु इतनी अधिक संख्या में होते हैं, कि खाड़ी का पानी बहुत दूर तक हरे प्रकाश से जगमगाता है। हरा प्रकाश प्रकट करने वाले जीवों में जेलीफिश भी एक है। कुछ जन्तु जापान के निकट सिप्रिडाइना समुद्र के तट के जल में पाये जाते हैं, जब वे भोजन की खोज में बाहर निकलते हैं तब तो उनके चारों ओर नीला प्रकाश छा जाता है। अमेरिका में एक 'ग्रव' नामक जीव पाया जाता है। इसके लार्वा के सिर पर लाल रंग के चमकीले प्रकाश वाले दो बिन्दु दिखाई देते हैं। जब रात्रि में वह चलता है तब इंजन के प्रकाश की तरह दो बिन्दु चमकते दिखाई देते है, अतः वह जीव रेलरोड़वर्म के नाम से पुकारा जाता है। प्रदीपी जीवों में जुगनुओं की जाति बहुत प्रसिद्ध है। लगभग 50 जुगनुओं के इकट्ठे प्रकाश में पुस्तक पढी जा सकती है। जब मादा जुगनू नर को पास बुलाने का संकेत करती है तो उसका प्रकाश 80-80 मीटर दूर से दिखाई देता है। जुगनू के प्रकाश में अल्ट्रावायलेट और इंफ्रारेड किरणें नहीं होती हैं। अतः इनका प्रकाश शीतल होता है। इस ठंडी आग का होना इसमें ल्युसिर्फेरिन नामक पदार्थ का होना है। आशय यह है कि एकेन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तक के तिर्यंचों में उद्योत नामकर्म का अस्तित्व पाया जाता है। पराघात नामकर्म _ 'पर' पर आघात कर उसे पराजित करने की शक्ति वाली कर्म प्रकृति को पराघात कहा जाता है। इसे प्रतिरक्षात्मक शक्ति Immunity Power कहा जा सकता है। __ वर्तमान में अपने दर्शन व वाणी से दूसरों को निष्प्रभ कर देना अथवा बड़े-बड़े बलवानों व पहलवानों के लिए अजेय होना पराघात माना जाता है। परन्तु यह अर्थ उपयुक्त नहीं लगता है, कारण कि इन्द्रिय पर्याप्ति की उपलब्धि होते ही संसार के समस्त जीवों के नियम से पराघात का उदय होता है। यह उदय शरीर के विद्यमान रहते निरन्तर होता रहता है। इस प्रकार सभी जीव सदैव अजेय ही सिद्ध होंगे। कोई भी जीव कभी भी पराजय को प्राप्त नहीं होगा। अतः उपर्युक्त अर्थ की अपेक्षा शरीर की 172 नाम कर्म
SR No.023113
Book TitleBandhtattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2010
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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