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________________ पुण्य के स्थिति बंध का कारण : कषाय अब यह प्रश्न उठता है कि पुण्य का स्थिति बंध अशुभ क्यों है? समाधान- जो व्यक्ति यह चाहता है कि मेरा प्रभाव दूसरों पर पड़े, मेरे सच्चरित्र, कर्तव्यनिष्ठा से अन्य जन प्रभावित हों, दूसरों पर मेरे व्यक्तित्व की छाप पड़े, महत्त्व बढ़े और आगे भी बना रहे, मेरे गुणों से लोग प्रभावित हों, मुझे सज्जन, महापुरुष समझें, मेरी गिनती महापुरुषों में, सिद्ध पुरुषों में हो, मेरे मरने के पश्चात् भी लोग मुझे याद करें, मेरा सत्कार हो, सम्मान हो, लोग मुझे पूजें, सुख-सुविधा पहुँचायें आदि फल की आशा रखे तथा अपने सरलता, क्षमा, निर्लोभता, मृदुता आदि गुणों से अपने महत्त्व का अंकन करे तो उसका ऐसा चाहना या करना मान कषाय का सूचक है। इससे उसके पुण्य व पाप प्रकृतियों का स्थिति बंध बढ़ता है तथा पुण्य प्रकृतियों का अनुभाग घटता है। सद्प्रवृत्तियों के करने का राग, फल की आशा तथा गुणों का अभिमान भयंकर दोष है। इस दोष के रहते साधक आगे नहीं बढ़ सकता। जब साधक अपने में अपनी कोई विशेषता नहीं पाता, तब गुणों का अभिमान नहीं रहता है, गुण उसका सहज स्वभाव बन जाते हैं। फिर गुणों की उपलब्धियों के लिए श्रम या अनुष्ठान नहीं करना पड़ता। वे सहज रूप से प्रकट हो जाते हैं। सभी जीवों को गुण स्वभावतः स्वतः प्राप्त हैं, अतः जब तक साधक गुणों को अपनी देन मानता है तब तक उसमें मैं करता हूँ, मैंने गुणों को पैदा किया है, यह अहं भाव व कर्तृत्व भाव बना रहता है। जहाँ कर्तृत्व भाव है, अहंभाव है वहाँ बंध है। ऐसी साधना से दोष दबते हैं, दोषों का दमन होता है, परन्तु दोष मिटते नहीं है। केवल दोषों का उपशम होता है, उदय व क्षय नहीं होता। वह उपशम श्रेणी करता है, जिसमें समस्त दोष सत्ता में ज्यों के त्यों विद्यमान रहते हैं। वे पुनः अति अल्पकाल में ही उदय में आकर उसका पतन कर देते हैं। क्षपक श्रेणि वही कर सकता है जो कर्तृत्वभाव, कर्त्तव्य का अहंकार, श्रम युक्त साधना, अनुष्ठान या अन्य किसी भी प्रकार की प्रवृत्ति नहीं करता है, किसी भी प्रकार का संकल्प-विकल्प नहीं करता है, जो कर्म उदय के रूप में प्रकट हो रहे हैं उनसे असंग हो तादात्म्य तोड़ता है, XVIII प्राक्कथन
SR No.023113
Book TitleBandhtattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2010
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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