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________________ [४०] रसार्णवसुधाकरः सम्भावनानर्हतत्वात् चुम्बितायाः कनिष्ठत्वम्। एवमितरदप्युदाहार्यम्। यहाँ एक दूसरी नायिका के देखते रहने पर भी सम्मान की योग्यता के कारण बन्द आँखों वाली नायिका का ज्येष्ठत्व और उसके समक्ष सम्मान की योग्यता न होने के कारण चुम्बन की जाती हुई नायिका का कनिष्ठत्व स्पष्ट है। इसी प्रकार अन्य भी उदाहरण दिये जा सकते हैं। धीराधीरादिभेदेन मध्या प्रौढे त्रिधा त्रिया ज्येष्ठाकनिष्ठिकाभेदेन ताः प्रत्येकं द्विधा द्विधा।।१०६।। मुग्धा त्वेकविधा चैवं सा त्रयोदशोदिता। इस प्रकार धीराधीरा इत्यादि भेद से मध्या और प्रौढ़ा नायिकाएँ तीन- तीन प्रकार की होती हैं। उनमें से प्रत्येक ज्येष्ठा तथा कनिष्ठिका भेद से पुनः दो-दो प्रकार की होती हैं। मुग्धा नायिका एक ही प्रकार की होती है। इस प्रकार स्वीया नायिकाएँ तेरह प्रकार की कही गयी हैं।। १०६-१०७पू.॥ अथ परकीया अन्यापि द्विविधा कन्या परोढा चेति भेदतः।।१०७।। तत्र कन्या त्वनूढा स्यात् सलज्जा पितृपालिता। सखीकेलिषु विस्रब्धा प्रायो मुग्धागुणान्विता।।१०८।। (२) परकीया नायिका के भेद- परकीया (अन्या) नायिका कन्या और परोढा भेद से दो प्रकार की होती हैं।।१०७उ.।।। (अ) कन्या- उस (परकीया नायिका) में कन्या (परकीया नायिका) अविवाहिता, सलज्जा, पितृपालिता, सखियों के साथ आमोद-प्रमोद में तल्लीन रहने वाली तथा प्रायः मुग्धा नायिका के गुणों वाली होती है।।१०८॥ यथा (कुमारसम्भवे१/५०) तां नारदः कामचरः कदाचित कन्यां किल प्रेक्ष्य पितुः समीपे । समादिदेशैकवर्धू भवित्रीं प्रेम्णां शरीरार्धहरां हरस्य ।।56।। जैसे (कुमारसम्भव १.५० में) इच्छानुसार विचरण करने वाले नारदमुनि ने किसी समय हिमालय के पास पार्वती को देख कर ऐसी भविष्यवाणी किया कि यह कन्या शङ्कर जी के आधे शरीर को हरण करने वाली उनकी एकमात्र पत्नी होगी।।56।।
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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