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________________ [ ४२६ ] रसार्णवसुधाकरः प्रकाश - सर्वप्रकाश और नियत प्रकाश भेद से प्रकाश दो प्रकार का होता है।।२०५पू.।। (तत्र सर्वप्रकाशम्) - सर्वप्रकाशं सर्वेषां स्थितानां श्रवणोचितम् ।। २०६।। सर्वप्रकाश - सर्वप्रकाश (कथावस्तु रङ्गमञ्च पर) स्थित सभी (पात्रों) द्वारा श्रवणीय होती है।।२०५उ.।। (नियतप्रकाशम्) - द्वितीयं तु स्थितेष्वप्येष्वेकस्य श्रवणोचितम् । नियत प्रकाश- नियत प्रकाश रङ्गमञ्च पर विद्यमान सभी पात्रों में से एक पात्र के सुनने योग्य होता है ।। २०७पू.।। ( नियतप्रकाशस्य द्वैविध्यम् ) - द्विधा विभाव्यतेऽन्यच्च जनान्तमपवारितम् ।। २०७ ।। नियतप्रकाश के भेद- अन्य (नियत प्रकाश) वाली (कथावस्तु) दो प्रकार की होती है- जनान्त (जनान्तिक) और अपवारित ।। २०५३ ।। (तत्र जनान्तिकम् ) - त्रिपताकाकरेणान्यानपवार्यान्तरा कथाम् । अन्येनामन्त्रणं यत् स्यात् तज्जनान्तिकमुच्यते ।। २०८ ।। जनान्तिक- त्रिपताका-कार हाथ से ओट करके अन्य (पात्रों) से छिपकर बीच की कथावस्तु की जो अन्य (दूसरे पात्र) से मन्त्रणा की जाती है वह जनान्तिक कहलाता है ।। २०८ ॥ (अथापवारितम् ) रहस्यं कथ्यतेऽन्यस्य परावृत्यापवारितम् । अपवारित- जो लौटकर अन्य (दूसरे पात्र) के रहस्य (गूढ़ बात) को कहा जाता है वह अपवारित है ।। २०९५. ।। (अङ्कान्ते पात्राणां निष्क्रमणम् ) इदं श्राव्यं च दृश्यं च प्रविश्य सुसमाहितैः । । २०९।। पात्रैर्निष्क्रमणं कार्यमङ्कान्ते सममेव हि । अङ्क के अन्त में पात्रों का निष्क्रमण- अङ्क के अन्त में प्रवेश करके इस श्रव्य और दृश्य (असूच्य कथावस्तु) को (सङ्केतित) करना चाहिए और वहाँ ( पहले से ) इकट्ठे अन्य पात्रों के साथ ही निष्क्रमण करना चाहिए (निकल जाना चाहिए ) ।। २०९उ. - २१०पू.।।
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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