SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथमो विलासः तत्र स्तम्भ: स्तम्भो विमर्श - दूसरे के सुख-दुःख इत्यादि में अपने अन्तःकरण को उसके अनुकूल अर्थात् तन्मय बना लेने का नाम सत्त्व है। जैसा आचार्य भरत ने कहा है— मन से उत्पन्न होने वाले भाव सत्त्व कहलाते हैं और वह सत्त्व मन के समाहित (एकाग्र) होने पर उत्पन्न होता है। इस मन का सत्त्व यही है कि इसके द्वारा दूसरे के सुख या दुःख में हर्षित या खिन्न होकर भावक में रोमाञ्च तथा अश्रु आदि स्वयं उत्पन्न हो जाते हैं। उस सत्त्व से उत्पन्न होने के कारण ये सात्त्विक होते हैं और उनसे उत्पन्न होने के कारण ये भाव सात्त्विक भाव कहलाते हैं। हर्षभयामर्षविषादाद्भुतसम्भवः ।। ३०२।। अनुभावाः भवन्त्येते स्तम्भस्य मुनिसम्मताः । संज्ञाविरहितत्वं च शून्यता निष्प्रकम्पता ।। ३०३ ।। | १२५ ] १. स्तम्भ - हर्ष, भय, अमर्ष, विषाद, अद्भुत से उत्पन्न सात्त्विकभाव स्तम्भ कहलाता है। संज्ञा से रहितता और शून्यता स्तम्भ के अनुभाव हैं- ऐसा मुनियों का मत है ॥ ३ ०२उ. - ३०३॥ हर्षाद् यथा (नैषधचरिते १४ / ५६ ) - नलेन प्रसादः । स्तम्भस्तथालम्भितमां भैमीकरस्पर्शमुदः कन्दर्पलक्षीकरणार्पितस्य स्तम्भस्य दम्भं स चिरं यथापत् ।।196 ।। अत्र नलस्य दमयन्तीकरस्पर्शहर्षेण स्तम्भः । हर्ष से स्तम्भ जैसे (नैषधचरित १४.५६ मे) - नल द्वारा भीमसुता (दमयन्ती) के कर स्पर्श से उत्पन्न हर्ष का प्रसाद स्तम्भ (सात्त्विकभाव की निश्चलता) उस रूप में प्राप्त किया गया जिस रूप से वे नल काम की लक्ष्य - सिद्धि के अभ्यास-काल में बाणों के लक्ष्य रूप में स्थापित खम्भे की समानता को चिरकाल तक प्राप्त होते रहे ।।196 ।। यहाँ नल का दमयन्ती की भुजा के स्पर्श से हुए हर्ष के कारण स्तम्भ है। भयाद् यथा इन्द्रजिद्वाणसम्भीतास्तथा तस्थु वलीमुखाः । यथायं रणसंरम्भाद् विरतो मृतशङ्कया ।।197।। अत्र मृतशङ्कयेति निष्प्रकम्पत्वद्योतनात् स्तम्भः । भय से स्तम्भ जैसे मेघनाथ के बाण से डरे हुए (राम के) प्रमुख सैनिक उसी प्रकार स्थित (खड़े) हो गये
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy