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________________ | ११० . रसार्णवसुधाकरः इतनी कुशलता व्यक्त करते तो अतिसुन्दर होता। __यहाँ तुम्हारे द्वारा मालविका को देखने से 'इस प्रकार की (इतनी) कुशलता यदि होती' इस निपुणता- पूर्वक परिहास से युक्त कथन नाट्याचार्यों का विवाद अभिहित है अत: प्रियापराध का उद्घाटन होने से नर्म है। वेषेण प्रियापराधनिर्भेदाद् यथा आलेपः क्रियतामयं द्रुतगतिस्वेदैरिवाढू वपुस्तन्माल्यं व्यपनीयतां रविकरस्प®रिवामर्दितम् । इत्युक्तान्यतिधीरया दयितया स्मेराननाम्भोरुहं चाटूक्तानि भवन्ति हन्त कृतिनां मोदाय भोगादपि ।।178।। अत्र स्वेदोद्गममाल्यम्लानत्वयो तगमनरविकरस्पर्शरूपकारणासत्यत्वकथनरूपेण परिहसनेन सपत्नीसम्भोगरूपप्रियापराधनि दनान्नर्म। वेष द्वारा प्रियापराधनिर्भेद से जैसे 'द्रुतगति के कारण उत्पन्न पसीने से भीगे हुए- से शरीर पर यह (शीतल) आलेप लगा लिया जाय और सूर्य-किरणों के स्पर्श से मसली हुई-सी वह माला हटा दी जाय अतिधीर प्रियतमा के द्वारा इस प्रकार की (कही) गयी उक्तियाँ और हँसी से युक्त मुखरूपी कमल सुकृत वाले (पुरुषों) के लिए सम्भोग से भी अधिक आनन्द देने के लिए चाटुकरिता युक्त वचन हो जाती है।।178 ।। यहाँ पसीने के निकलने और माला के मलिन हो जाने का द्रुततर- गमन और सूर्य के किरण से स्पर्श रूप कारण का असत्यरूप से कथन तथा परिहसन से सपत्नी के साथ सम्भोग-रूप प्रियापराध के निर्भेद के कारण नर्म है। चेष्टया प्रियापराधनिर्भेदाद् यथा (अमरुशतके ८३) लोलभूलतया विपक्षदिगुपन्यासे विधूतं शिरस्तवृत्तस्य निशामने कृतनमस्कारं विलक्षस्मितम् । रोषात् ताम्रकपोलकान्तिनि मुखे दृष्ट्या नतं पादयो रुत्सृष्टे गुरुसन्निधावपि विधिभ्यिां न कालोचितः ।।179।। अत्र विलक्षस्मितशिरोधूननचेष्टया प्रियापराधनिभेदान्नर्म। चेष्टा द्वारा प्रियापराधनिर्भेद से जैसे (अमरुशतक ८३ में) (सखी सखी से कह रही है) नायिका के चंचल भौंहों से अन्य स्त्री के (जिसके यहाँ नायक गया था) घर की ओर संकेत करके अपना सिर हिलाया अर्थात् उसने इस क्रिया से यह व्यक्त कर दिया कि मैं तुम्हारी सारी बातें जान गयी हूँ। इसे देख कर नायक नमस्कारपूर्वक हाथ जोड़े व्याकुल होकर मुस्करा दिया अर्थात् उसने यह व्यक्त कर दिया कि मेरे जैसे निरपराध पर
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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