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________________ रसार्णवसुधाकरः .. तत्सौकुमार्यं त्रेधा स्यान्मुख्यमध्याघमक्रमात् । ७. सौकुमार्य- अङ्गों में कोमल वस्तु के भी स्पर्श को सहन न करने की क्षमता सौकुमार्य कहलाती है। यह सौकुमार्य उत्तम (मुख्य), मध्यम और अधम-तीन प्रकार का होता है।।१८४उ.-१८५पू.॥ अथोत्तमसौकुमार्यम्___अङ्गं पुष्पादिसंस्पर्शासह येन तदुत्तमम् ।।१८५।। उत्तम सौकुमार्य- जिस (सुकुमारता) के कारण अङ्ग पुष्प इत्यादि के स्पर्श को भी सहन करने में असमर्थ होते हैं, वह उत्तम सौकुमार्य है।।१८५उ.।। यथा (कुमारसम्भवे ५/१२) महार्हशय्यापरिवर्तनच्युतैः स्वकेशपुष्पैरपि या स्म दूयते । अशेत सा बाहुलतोपधायिनी निषेदुषी स्थण्डिल एव केवले ।।81 ।। अत्र यद्यपि उत्तरार्ये स्थण्डिलसहत्वमुक्तं, तथापि तेन स्थिराग्रहस्यैव मनसः क्लेशसहिष्णुत्वं प्रतीयते, न पुनः शरीरस्येत्यत्रोत्तमसौकुमार्यमुपपद्यते। जैसे (कुमारसम्भव ५.७२ में) बहुमूल्य शय्या पर करवटे बदलते समय अपने ही बालों से गिरे हुए फूलों से भी जिस पार्वती को कष्ट होता था वही पार्वती अब केवल भूमि पर (बिना बिछौना बिछाये) अपनी बाहों की तकिया लगा कर बैठे ही बैठे सोने लगी।।81।। यहाँ यद्यपि उत्तरार्ध में तकिया के स्पर्श से सहने की क्षमता को कहा गया है तथापि उसके द्वारा स्थिर आग्रह वाले मन की क्लेश सहन कहने की क्षमता प्रतीत होती हैं न कि शरीर के (क्लेश सहने की)। इसलिए यहाँ उत्तम सौकुमार्य है। अथ मध्यमसौकुमार्यम् न सहेत करस्पर्श येनाङ्ग मध्यमं हि तत् । मध्यम सौकुमार्य- जिस सुकुमारता के कारण अङ्ग हाथों के स्पर्श को सहन नहीं कर सकते, वह मध्यम सौकुमार्य है।।१८६पू.।। यथा (उत्प्रेक्षावल्भस्य) लाक्षां विधातुमवलम्बितमात्रमेव सख्याः करेण तरुणाम्बुजकोमलेन । कस्याचिदग्रपदमाशु बभूव रक्तं
SR No.023110
Book TitleRasarnavsudhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJamuna Pathak
PublisherChaukhambha Sanskrit Series
Publication Year2004
Total Pages534
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size31 MB
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