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________________ ७१५ मकारादि या परिशिष्टम्-३ ५४०. का० ह्रीघ्रात्रोन्दनुदविन्दां वा ४/६/११० वैकल्पिक नकारादेश समानता पा० नुदविदोन्दत्राघ्राह्रीभ्यो० ८/२/५६ वैकल्पिक नकारादेश समानता ५४१. का० क्षैशुषिपचां मकवा: ४/६/१११ मकारादि आदेश समानता पा० शुषः कः, पचो वः, क्षायो मः ८/२/५१-५३ समानता ५४२. का० वा प्रस्त्यो मः ४/६/११२ मकारादेश समानता पा० प्रस्त्योऽन्यतरस्याम् ८/२/५४ नकारादेश समानता ५४३. का० निर्वाणोऽवाते ४/६/११३ निपातनविधि समानता पा० निर्वाणोऽवाते ८/२/५० निपातनविधि समानता ५४४. का० भित्तर्णवित्ताः शकलाध० ४/६/११४ निपातनविधि समानता पा० वित्तो भोग०, भित्तं शकलम्, ऋणमा० ८/२/५८-६० " समानता ५४५. का० अनुपसर्गात् फुल्लक्षीब० ___४/६/११५ निपातनविधि समानता पा० अनुपसर्गात् फुल्लक्षीब० ८/२/५५ निपातनविधि समानता ५४६. का० अवर्णादूटो वृद्धि: ४/६/११६ वृद्ध्यादेश समानता पा० एत्येधत्यूठ्सु ६/१/८९ वृद्ध्यादेश समानता उत्कर्षादिबोधक सारिणी समानता विषमता | उत्कर्ष अपकर्ष | लाघव | गौरव सरलता दुरूहता वैशिष्ट्य हीनता | योग कातन्त्र व्याक | ४२७ | १ | ४३ | १ । ५७ | २ | १२ | - | ३ | - ५४६ रण पाणिनीय ४२३ | - | ३ | ४६ | ३ | ५५ | - | १३ | - | ३ ५४६ व्याक रण समाप्ता तुलनात्मकसूत्रसूची
SR No.023091
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2005
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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