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लाघव गौरव साम्य
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कातन्त्रव्याकरणम् १३९. का० वा ज्वलादिदुनीभुवो णः ४।२१५५ ण- प्रत्यय
पा० ज्वलिति०,दुन्योरनुप०, भवतेश्चेति ३।१।१४०,१४३-वा० ण-प्रत्यय १४०. का० समाङोः सुवः
४ारा५६ ण-प्रत्यय पा० श्याव्यधातुसंस्वती० ३।१।१४१ ण-प्रत्यय १४१. का० अवे हसोः
४।२१५७ ण-प्रत्यय पा० श्याव्यधासुसंस्वती० ३।१।१४१ ण-प्रत्यय १४२. का० दिहिलिहिश्लिषिश्वसि० ४।२।५८ ण-प्रत्यय
पा० श्याव्यधाञसंस्वतीण० ३।१११४१ ण-प्रत्यय १४३. का० ग्रहे
४।२।५९ ण-प्रत्यय पा० विभाषा ग्रहः
३।१।१४३ ण-प्रत्यय १४४. का० गेहे त्वक्
४।२।६० अक्प्रत्यय पा० गेहे कः
३।१।१४४ क-प्रत्यय १४५. का० शिल्पिनि वुष्
४।२।६१ वुष् प्रत्यय पा० शिल्पिनि वुन्
३।१।१४५ बुन् प्रत्यय १४६. का० गस्थक:
४।२।६२ थक प्रत्यय पा० गस्थकन्
३।१।१४६ थकन् प्रत्यय १४७. का० ण्युट च
४।२।६३ ण्युट् प्रत्यय पा० ण्युट च
३।१।१४७
प्रत्यय १४८. का० हः कालव्रीह्योः
४।२।६४
ण्युट् प्रत्यय पा० हश्च वहिकालयोः
३।१।१४८ ण्युट प्रत्यय १४९. का० आशिष्यक:
४।२।६५ अक प्रत्यय पा० आशिषि च
३।१।१५० वुन् प्रत्यय १५०. का० पुत्रुसृल्वां साधुकारिणि
४।२।६६ अक प्रत्यय पा० पुसृल्व: समभिहारे वुन् ३।१।१४९ वुन् प्रत्यय
साम्य साम्य साम्य
साम्य
साम्य
साम्य साम्य
साम्य
साम्य
साम्य साम्य लाघव
गौरव
लाघव गौरव