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________________ लाघव गौरव साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य ६९२ कातन्त्रव्याकरणम् १३९. का० वा ज्वलादिदुनीभुवो णः ४।२१५५ ण- प्रत्यय पा० ज्वलिति०,दुन्योरनुप०, भवतेश्चेति ३।१।१४०,१४३-वा० ण-प्रत्यय १४०. का० समाङोः सुवः ४ारा५६ ण-प्रत्यय पा० श्याव्यधातुसंस्वती० ३।१।१४१ ण-प्रत्यय १४१. का० अवे हसोः ४।२१५७ ण-प्रत्यय पा० श्याव्यधासुसंस्वती० ३।१।१४१ ण-प्रत्यय १४२. का० दिहिलिहिश्लिषिश्वसि० ४।२।५८ ण-प्रत्यय पा० श्याव्यधाञसंस्वतीण० ३।१११४१ ण-प्रत्यय १४३. का० ग्रहे ४।२।५९ ण-प्रत्यय पा० विभाषा ग्रहः ३।१।१४३ ण-प्रत्यय १४४. का० गेहे त्वक् ४।२।६० अक्प्रत्यय पा० गेहे कः ३।१।१४४ क-प्रत्यय १४५. का० शिल्पिनि वुष् ४।२।६१ वुष् प्रत्यय पा० शिल्पिनि वुन् ३।१।१४५ बुन् प्रत्यय १४६. का० गस्थक: ४।२।६२ थक प्रत्यय पा० गस्थकन् ३।१।१४६ थकन् प्रत्यय १४७. का० ण्युट च ४।२।६३ ण्युट् प्रत्यय पा० ण्युट च ३।१।१४७ प्रत्यय १४८. का० हः कालव्रीह्योः ४।२।६४ ण्युट् प्रत्यय पा० हश्च वहिकालयोः ३।१।१४८ ण्युट प्रत्यय १४९. का० आशिष्यक: ४।२।६५ अक प्रत्यय पा० आशिषि च ३।१।१५० वुन् प्रत्यय १५०. का० पुत्रुसृल्वां साधुकारिणि ४।२।६६ अक प्रत्यय पा० पुसृल्व: समभिहारे वुन् ३।१।१४९ वुन् प्रत्यय साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य साम्य लाघव गौरव लाघव गौरव
SR No.023091
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2005
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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