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कातन्त्रव्याकरणम्
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११८१. श्लोकः
१२ | १२०४. संबन्धविवक्षापि १८० ११८२. श्लोकपूरणत्वात् ५३९ | १२०५. संबन्धविवक्षायाम् १३९, १७९ ११८३. श्लोकपूरणार्थम् २७७ | १२०६. संबन्धानुकूलव्यापारः ५० ११८४. श्लोकरूपतया ५३८ | १२०७. संबन्धाभिधानम् १८७ ११८५. श्लोकसमुदायाः ४३५ | १२०८. संबन्धिशब्दः
२५६ ११८६. षडनुबन्धः
| १२०९. संबन्धोऽन्योऽन्यमिष्यते १२९ ११८७. षष्ठीप्रतिपत्त्यर्थम् २०५ | १२१०. संबोधने च प्रथमा १०६ ११८८. संकल्पः
५२ | १२११. संबोधनोपायाः २५५ ११८९. संकोचदर्शनात् | १२१२. संभाषते छात्रो भार्याम् ७५ ११९०. संख्या २५५, ४९६ | १२१३. संभ्रान्तिज्ञानम् १९१, ११९१. संख्याकर्मादयः
१९२,१९४ ११९२. संख्याभेदः २५६ | १२१४. संयोगः ५९, ६३, ८४ ११९३. संख्याम् ११६ | १२१५. संयोगनिवृत्तिः ३० ११९४. संज्ञाप्रतिपादनार्थम् ११९ | १२१६. संयोगसंबन्धः ५० ११९५. संज्ञार्थम्
५४५ | १२१७. संशये तु सदा बहुवचनं ११९६. संज्ञाशब्दः
२० | प्रयुज्यते ११९७. संज्ञासाधनान्येव २५७ १२१८. संस्कारः
४५३ ११९८. संज्ञास्तु लोकत एव १२१९. संस्थानेन
५०५ प्रतिपत्तव्याः १४८, १५१ / १२२०. संक्षेपः ५३, ८१, ९४, १०९, ११९९. संप्रदानलक्षणम् ५३
२५६,२६८, २७७, १२००. संबन्धः ३६, ४९, १२१,
___ १८५, २६५ १२२१. संक्षेपार्थः ५२, ३३१ १२०१ संबन्धः कारकेभ्योऽन्यः १२९ | १२२२. सकर्मकता १२०२. संबन्धविवक्षया १९१ | १२२३. सकर्मकत्वम् १२०३. संबन्धविवक्षा ३१,१९४, १२२४. सकर्मका एव भवन्ति ७९
१९८,२०७, ३३६ | १२२५. सकृदुच्चरितः शब्दः ८६
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