________________
मी० सू०
संकेत-विवरण
: ऋग्वेद-संहिता। का० च० : कारक चक्र ( भवानन्द )। त० बो० : तत्त्वबोधिनी ( लघुशब्देन्दुशेखरसहित सिद्धान्त
कौमुदी का गुरुप्रसाद शास्त्री का संस्करण ) । नि०
: निरुक्त ( यास्क )। न्या० को
: न्यायकोश ( भीमाचार्य झलकीकर )। प० ल० म० : परमलघुमञ्जूषा ( नागेश )। पा० सू० : पाणिनिसूत्र । ब्र० सू० : ब्रह्मसूत्र ( बादरायण ) । म० भाष्य : महाभाष्य ( पतञ्जलि )।
: मीमांसासूत्र ( जैमिनि )। ल० मं० : लघुमञ्जूषा ( नागेश )। ल० श० शे० : लघुशब्देन्दुशेखर ( देखें-त० बो०)। वा०प० : वाक्यपदीय ( भर्तृहरि )। वा०रा० : वाल्मीकि रामायण । वे० ५० : वेदान्तपरिभाषा ( धर्मराजाध्वरीन्द्र ) । वै० भू० : वैयाकरणभूषण ( कौण्डभट्ट )। वै० भू० सा० : वैयाकरणभूषणसार ( कौण्डभट्ट )। व्या० द० इति : व्याकरणदर्शनेर इतिहास (बंगला-गुरुपद हाल्दार)। व्यु. वा० : व्युत्पत्तिवाद (लक्ष्मीनाथ झा कृत प्रकाश सहित)। श० को० : शब्दकौस्तुभ ( भट्टोजिदीक्षित )। श० श० प्र० : शब्दशक्तिप्रकाशिका ( जगदीश )। सं०व्या०शा०इति० : संस्कृत व्याकरणशास्त्र का इतिहास ( युधिष्ठिर
मीमांसक )। सि० को० : सिद्धान्तकौमुदी ( देखें-त० बो० )।