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हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
इम < इमन् का प्रयोग सामान्य अर्थ में मुणीसिम, वंकिम < वक्र+, कारिम (* कार-इम कृत्रिम), खाइम < खाद, साइम <
स्वादय।
12. इय < प्रा० भा० आ० पराइय < परकीय, महइय (महत्) ।
13. इत्त प्रत्यय मत् और वत् के अर्थ में प्रयुक्त होता है = कव्वइत्त < काव्य, माणइत्त < मान, पाणइत्त < प्राण । पुल्लिंग में इत्तअ
और स्त्रीलिंग में इत्तिआ होता है = पओहर वित्थारइत्तअ < पयोधर विस्तारयुक्त।
14. इअ < इक-विशेषण-पहिउ < पथिअ < पथिक, पंथिअ < * पंथिक, जाइत्थिअ < * यादृश्तिक ।
__15. इआ < इका-सअद्दिआ < साकटिका, वसन्तसेणिआ < * वसन्तसेनिका।
16. इक, * इक्य-मच्चिय < * मर्यिक <* मर्त्यक, भालिक < * भारिक < भारवत्, बप्पीकी (स्त्री०) < वप्प, इक का इअ भी हो जाता है-सव्वंगिय < सर्वांगीण ।
____17. इल्ल + क-मा०-घरिल्ल < घर +, मुक्कलअ < मुक्त +, गामेल्लअ < ग्राम, पडिहत्थेल्लिय < प्रतिहस्त ।
18. इर-विशेषण-गुहिर < गुहा +, वज्जिर < वज्र ।
19. ई (स्त्री०)-दिट्ठी < दृष्ट, तनु सरीरि, परपुत्थि, कुमारी, वंकी, सकण्णी, कृदन्त का ई प्रत्यय-दिण्णी, रूट्ठी, जंअंति, गणंति।
___ 20. इत्त-< प्रा० भा० आo-इ-त्र या-इ-त्रि-इसका प्रयोग बहत कम पाया जाता है-छदाइत्त (छन्द-इत्र छन्द-वत्), कव्वइत (काव्य), माणइत्त (मान)।
21. त्तिय < प्रा० भा० आ० * तिक < ता + इक क्रिया विशेषण के अर्थ में प्रयुक्त होता है-एत्तिय (*अयत्-तिक) इयत् ।
22. तुल < प्रा० भा० आ० * तुल < ता+उल, यह प्रत्यय क्रिया विशेषण से विशेषण बनाया जाता है एत्तुल (एतावत्), केत्तुल (कियत्), जेत्तुल (यावत्). तित्तुल (तावत्)।