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हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
मुह निज्जिअउ (हेम०)। अपभ्रंश पंचमी एक वचन ओहाँ आजकल हिन्दी में वहाँ प्रयुक्त होता है। अपभ्रंश ओहो का हिन्दी में ओहो आश्चर्य के लिये प्रयुक्त होता है। मैथिली में ओहु मगही आदि में उहो आदि होता है। इसी ओह का ओहु तथा आधुनिक हिन्दी में उस, उन, उन्हें इत्यादि प्रयुक्त होता है।
पिशेल ने पालि, प्राकृत आदि भाषाओं में प्रयुक्त आमु शब्द की रूपावलि दी है। उसी में उन्होंने यह भी कहा है अपभ्रंश में कर्म कारक पुल्लिंग का रूप अमुं है। (पिशेल 8432)। इससे निष्कर्ष निकलता है कि प्राकृत अमु शब्द का रूप यत्र तत्र पूर्ववर्ती अपभ्रंश में अवश्यमेव पाया जाता होगा।
कर्ता पुं०, स्त्री० ए० व०-पा० असु < * असो या असः, प्रात अहो (क्रमदीश्वर) < * असउ; पा० अमु (केवल पुं०), प्रा० अमू < * अमूः । कर्ता, कर्म-नपुं-पा० अदुं < अदस् + म्, प्रा० अमुं। कर्म० पु०, नपुं०, पा०, प्रा० (व्याकरण) अमुं < अमूं। करण, पुं०, पा०, अमुना, प्रा० अमुणा < अमुना; करण स्त्री०, पा० अमुया < अमुया, अप० पुं०, पा० अमुम्हा, अमुस्मा < अमुस्मात् प्रा० (व्याकरण) अमूओ, अमूउ < अमुतः । अपादान-स्त्री०, पा० अमुया सम्बन्ध-पुं०, पा०, प्रा० अमुस्स < अमुष्य, प्रा० (व्याकरण) अमुणो < * अमुनः, सम्बन्ध-स्त्री०, पा० अमुस्सा < अमुस्याः , अमुया < * अमुयाः, (करण का०)। अधिकरण पुं०, पा० अमुम्हि, अमुस्मि, प्रा० अमुम्मि < अमुस्मिन्, अप० अअम्मि < * अदस्मिन्; अधिo-स्त्री०, पा० अमुस्सां < अमुस्याम्।
कर्ता-कर्म, पुं०, स्त्री०, ब०, वo-पा० अमू < अमू: (स्त्री०), अमुयो < * अमुयः प्रा० अमुणो (केवल पुं०) < * अमुनः, अमूओ (अमूउ भी) < * अमूयः, प्रा० (व्याकरण) अहा < * असाः या असानि * अस के आधार पर कहा जा सकता है। कर्ता, कर्म, नपुं०, पा० अमूनि, प्रा० (व्याकरण) अमूणि, अमूइं < अमूनि, * अमू + इं। पा०, प्रा०-करणअमुहि < अमूभिः (स्त्री०), सम्बन्ध पा० अमूसं < अमूषां (स्त्री०) अमूसाणं (अमूषाम् + नाम्), अमूण (व्याकरण) < * अमूनाम् । अधिकरण, पा०, प्रा० अमूसु < अमूषु (स्त्री०)।