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हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
90. लकारोपदेशो यदृच्छा शक्तिजानुकरणप्लुताद्यर्थः । शिवसूत्र-वार्तिक
2.21
91. अशक्तया कयाचिद् ब्राह्मण्या ऋतक इति प्रयोक्तव्ये तृतक इति
प्रयुक्तम् । महा० के अन्तर्गत वार्तिक। __भूवादि पाठः प्रातिपदिकाणपयत्यादि निवृत्यर्थः-वार्तिक 12-अन्दर
पाणि० 1.3.1 संस्कृतेनैव कोऽप्यर्थः प्राकृतेनैव चापरः ।
शक्यो वाचयितुं कश्चिदपभ्रंशेन वा पुनः ।। सरस्वती कण्ठाभरण। 94. धीरा गच्छदुमे हतमुदुद्धर वारिसदः सु।
अभ्रमद प्रसरा हरणरविकिरणा तेजः सु।। काव्यालंकार 4-15 95. तद यदा द्राविडादि भाषायामीदशो स्वच्छन्द कल्पना, तदा पारसी,
बर्बर यवन रौमकादि भाषासु किं विकलप्य किं प्रतिपत्स्यन्त इति
विद्मः-तन्त्र वार्तिक । 96. भारतीय आर्य भाषा और हिन्दी-डां० सुनीति कुमार चटर्जी-पृ०
116, प्रकाशन राजकमल। ... प्रो० जैकोबी कृत सनत्कुमार चरितम् के संस्मरण के पृ० xviii
में पादलिप्त कृत तरंगवती काव्य का उल्लेख किया है। 98. भारत का भाषा सर्वेक्षण-डॉ० ग्रियर्सन अनु० डा० उदय नारायण
तिवारी-पृ० 229. प्रकाशन-सूचना विभाग-उत्तर प्रदेश 99. भारत का भाषा सर्वेक्षण डा० ग्रियर्सन-अनु० उदय नारायण तिवारी
पृ० 23. प्रकाशन-उत्तर प्रदेश सूचना विभाग 100 "At the coonfrence of the second period (i.e. Middle
Indo Aryan Period), we have the literary Apabhramsa's, and these Apabhramsa's of literature are mainly based on hypothetical spoken Apabhramsa's in which the earlier Prakrits die and the Bhāsā or modern Indo Aryan languages have their birth.” (The Origin and develop
ment of Bengali language) Introduction p.17. 101 ग्रामर ऑफ गौडियन लैंग्वेजेज भूमिका--11-12