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अध्याय नौ आत्म-समीक्षण के नव सूत्र
सूत्र : ८ :
मैं ज्ञान पुंज हूँ, समत्व योगी हूँ।
मुझे सोचना है कि मुझे अमिट शान्ति क्यों नहीं मिलती, अमिट सुख क्यों नहीं प्राप्त होता?
ज्ञान के प्रकाश में मैं अनुभव करूँगा कि मेरा आत्म-समीक्षण एवं विश्वकल्याण का चारण कितना पुष्ट और स्पष्ट हो गया है? तब मैं वीतराग देवों की आज्ञा में रहता हुआ एकावधानता से सम्यक् ज्ञान, दर्शन व चारित्र की आराधना करूँगा, गुणस्थानों के सोपानों पर चढ़ता जाऊंगा और समत्व योग के माध्यम से अमिट शान्ति एवं अक्षय सुख को प्राप्त कर लूंगा।