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अध्याय चार आत्म-समीक्षण के नव सूत्र
सूत्र : ३:
मैं विज्ञाता हूँ, द्रष्टा हूँ! मुझे सोचना है कि मुझे किन पर श्रद्धा रखनी है
और कौनसे सिद्धान्त अपनाने हैं? मेरी दृष्टि लक्ष्याभिमुखी होते ही जान लेगी कि मैं सत्य श्रद्धा एवं श्रेष्ठ सिद्धान्तों से कितना दूर हूँ? मैं सुदेव, सुगुरु एवं सुधर्म पर अविचल श्रद्धा रखूगा, श्रावकत्व एवं साधुत्व के पालन में सत्सिद्धान्तों के आधार पर अपना समस्त आचरण ढालूँगा और ज्ञान व क्रिया के संयोग से निर्विकारी बनने में यत्नरत हो जाऊंगा।