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________________ अरु तपेगछमे श्री जसविजयजी उपाध्याजी होय हे । इस काल मुजब घणे शास्त्रां के जाणकार होय दीसे छे । लोक कहे छे तिसने सौ ग्रंथ रच्या छ । मेंने तो पांच दस ग्रंथ देखे छे पिण तिनोने घणा जिवांको उपकारकारी ग्रंथ बनाये छे । जिनसासन की खोजणा घणी करी छे । आपणी शक्ति के अणुसार 'चोल पर चोल घणी करी संभव होती हे । घणे उपकारी पुरुष दीसै । इस दुषम काल में एहवा पुरुषबी मिलणा दुर्लभ छे । एह पुरुष बहुलता उपकारी दीसे छे । परंतु काल दूषम छे । तथा उपाध्यायजी नय निषेपेके जाणकार थे । सो ते पुरुष नय विना बोले नहि । मेरे को अइसी प्रतीत छे । तथा कोइक घणे कालका गाडरीप्रवाह पड गया छे । श्रीउपाध्यायजीने उपयोग न दीया होवे तो कोइक ऐसा द्रवलिंगीयाने जुठा कदाग्रह चलाया छे । ते लिख्या गया होवे तो कुछ आश्चर्य नही । चौद पूर्वका पाठी वचन खलाय जावें तो बीजानो कहवो कीसो ? ते पाठ लिखीए छे ।। आयारपन्नत्तिधरं । दिठिवायमहिज्जगं ॥ वयविखीलयं नच्चा । न तं उवहसे मुणी ॥ दसवैकालक अध्ययन ८ गाथा ५० आचारांग भगवती चौद पूर्वका पाठ्ठी वचन खलाय जावे तो साधु तिसकी हासी न करे । हीले नही । किस वास्ते नही हीलें ? इम जाणे छदमस्थ छे उपयोग दीया विना भाषा निकल गइ हे तिम उपाध्यायजी महाराज इस काल में भारी पंडित होये छे श्री उपाध्यायजी महाराजने तो ३६३ पाखंडिका तथा जैनो नाम धरावे छे नाम मात्र संघ कहावे छे तेहना पिण उपाध्यायजीने तो घणा स्वमत परमतका निरणा कीया हे ते पुरुष आत्मागवेषी दिसेंहें तथा कोइ कहे हे उपाध्यायजी को तपे गछका मोह दीसें हे ३और गछानाल द्वेष दीसें हे एह वात मीले नही ते पुरुष ऐसें मत कदाग्रही नथी दीसत । ते पुरुष भले पखको निंदणेवाले दीसते नही तथा भुंडे पखको सराहणेवाले पिण संभव नथी होते । ते पुरुष गुणग्राही दीसें हे । श्रीउपाध्यायजी महाराज जुठा कदाग्रह करणे वाले दीसते नथी । न्यायवादी दीसे हे । तथा मत कदाग्रह तो घणे कालके चले आयहे । श्रीउपाध्यायजी तो तप्पामें पीछे मुंडत' होए हे । तो महाराजजीने मत कदाग्रे वणाये किम कहीए ? तथा मेने इम सुण्या हे उपाध्यायजीनें छोटी उमर में तप्पाके १ विचारणा पर विचारणा । २ निक्षेपे के | ३ अन्य गच्छे के साथ । मोहपत्ती चर्चा * २१
SR No.023016
Book TitleMuhpatti Charcha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasenvijay, Kulchandrasuri, Nipunchandravijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages206
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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