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* मानव भोज्य मीमांसा
प्रणम्य परया भक्त्या, वर्धमानं जिनेश्वरम् । मानवाशन-मीमांसां कुर्वे शास्त्रवचोनुगाम् ॥ १ ॥
अर्थ - परम भक्ति पूर्वक श्री वर्धमान जिनेश्वर को नमस्कार करके, शास्त्रीय वचनों का अनुगमन करने वाली "मानव भोज्य मीमांसा" को करता हूँ ।
प्रथम संध्याय ( १ )
मानव प्राकृतिक भोजन
जैन - वैदिक-विज्ञान, प्रमाणः कृत-साधनम् । मानव-प्रकृते-रहं भोजनं कीर्त्यतेऽनथम् ॥ १॥
अर्थ – जैन, वैदिक, वैज्ञानिक, प्रमाणों से निर्णीत ऐसे मानव प्रकृति के योग्य उत्तम भोजन का निरूपण किया जाता है ।