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पातेति
सहश
भालेति . सशह
४७१ सम्भूतमु ४७१ पूर्णकश्यप ४७३ मा ते
४७३ परिमनयंति .४७४
४८० एगणु . ३८२ पाइपति त ४८३ प्राप्त हैं
४४ व्यायाम
४८८ अवद्य . उपाधि
४३२ निरूपण अन रजहाण बाहर
४६८ सूकर कामय को गहा ४६८ पारमें
४६६
सव्वभूतेसु पूरण कश्यप
झांयं ते परिक्लयंतिः
ईसा
नाणु पाडणंति ते प्राप्त होते हैं
व्यास अनक्य
उपधि निरूपण जैन
रजोहरण वाराहिकन्द
देने की ५३ सूकर मदव को ५ पात्र में और अन्य
प्रणीत भिक्षु संघ के
११
देने
पात्र में
५००
थी।
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