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मानव-भोज्य मीमांसायाम्।
षष्ठो अध्यायः उद्दिष्टकृतभोजी शाक्यभिक्षु उद्दिष्टकृतभिक्षाशी, धृतकाषायचीवरः । शाक्यभिक्षुभवत्वङ्गि, कल्याणकरणक्षमः ॥१॥ . अर्थः-उहिष्टकृत भोजी तथा भिक्षा भोजो और काषायवस्त्रधारी शाक्यभिक्षु प्राणियों का कल्याण करने में समर्थ हो । बुद्ध और बौद्धधर्म के इतिहास की रूपरेखा
बौद्धधर्म की उत्पत्ति शाक्य गौतम बुद्ध से हुई है । यद्यपि भगवान् बुद्ध का जन्म स्थान शाक्य क्षत्रियों की राजधानी कपिलवस्तु के निकटवर्ती लुम्बनी ग्राम था तथापि गौतम संन्यास लेने के बाद उस प्रदेश में अधिक नहीं रहे, अधिकांश वे गंगातट