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( ४१४ ) किया कि जो यति श्वेत वस्त्र धारण करेगा उसको पतित माना जायगा।
मनुकाल में संन्यासियों को धातुपात्र में भोजन करने का बड़ा कडा प्रतिबन्ध लगाया गया था, परन्तु पिछले स्मृतिकारों ने उसमें शिथिलता करदी। कहा गया कि यति को स्वर्ण रजत कांस्यादि धाबु के पात्रों में भोजन करले तो दोष नहीं है ।
आज भी कैदिक धर्म के अनुयायी बजारों संन्यासी भारतवर्ष में विद्यमान हैं, और अपना पवित्र जीवन यम नियमादि में व्यतीत करते हैं। मेरा उन महोदयों से अनुरोध है कि वे अपने पुरोगामी वैदिक श्रमणों के मुख्य प्राचारों और पवित्र जीवन का अनुशीलन करे और अपना आदर्श विशेष उच्च बनायें ।
• इति पंचमोऽध्यायः ।